प्रशासनिक स्वीकृति के बिना ही बाघ और हाथियों के रेस्क्यू सेंटरों पर खर्चे 10 करोड़
उत्तराखण्ड के विश्व प्रसिद्ध कार्बेट पार्क में वित्तीय व प्रशासनिक मंजूरी के बिना ही बाघ और हाथियों के लिए करोड़ों रूपये खर्च कर रेस्क्यू सेंटर बनाने का मामला प्रकाश में आया है। करीब 10 करोड़ रूपये खपा कर 80 प्रतिशत कार्य पूरा करवा चुके कई बड़े अधिकारी इस खेल में शामिल बताये जा रहे हैं। जिन्होंने अपने स्वार्थों के लिए इस्टीमेट, डीपीआर और अन्य औपचारिकताएं पूरी न होने के बावजूद करोड़ों रूपये इस योजना पर खर्च डाले। जो धन राशि रेस्क्यू सेंटरों के निर्माण पर खर्च की गयी वह भी नियम विरूद्ध फायर के बजट से निकाले गये हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इसके लिए ना तो सेंट्रल जू अथॉरिटी से और न ही एनटीसीए से कोई मंजूरी ली गई। इसके बाद भी चार बाघ और हाथी केयर यूनिट सहित कई निर्माण करवा दिए। मामला सुर्खियों में आने के बाद वित्त एवं नियोजन ने पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ से इसके बजट और मंजूरियों पर सूचना और स्पष्टीकरण मांगा है।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कार्बेट की ढेला रेंज में पार्क प्रशासन की ओर से 2019 में करीब 20 करोड़ रुपये से एक बाघ रेस्क्यू सेंटर का प्रस्ताव शासन को मंजूरी के लिए भेजा गया था। इसके लिए केंद्र और सेंट्रल जू अथॉरिटी से भी एनओसी ली जानी थी। लेकिन एस्टीमेट, डीपीआर और अन्य औपचारिकताएं पूरी न होने के कारण सितंबर 2020 में तत्कालीन प्रमुख सचिव वन आनंद वर्द्धन की ओर से वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति देने से इनकार करते हुए तत्कालीन पीसीसीएफ और चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को पत्र भेजकर दोबारा प्रस्ताव भेजने को कहा गया था। लेकिन दोबारा प्रस्ताव भेजने के बजाए वहां बिना मंजूरी के ही रेस्क्यू सेंटर का निर्माण शुरू कर दिया।