अजय भट्ट बने केन्द्रीय राज्य मंत्री
नई दिल्ली। मेहनती, अत्म विश्वासी और जुझारू नेता के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले अजय भट्ट को आज हुए केन्द्रीय मंत्रीमंडल विस्तार में स्थान मिला है। श्री भट्ट ने राज्यमंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली।
अजय भट्ट ने अपना जीवन अनेक संघर्षों के साथ साथ शुरू किया है। छोटी उम्र में ही पिता के निधन के बाद परिवार के भरण-पोषण और अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए अनेक श्रमसाध्य कार्य किये। वर्ष 1989 में पहली बार द्वाराहाट से नगर पालिका अध्यक्ष का लड़ा था। उन्हें और प्यारे लाल शाह को बराबर-बराबर मत मिलने के बाद लॉटरी से फैसला हुआ तो वह प्यारे लाल शाह के पक्ष में जाने पर अजय भट्ट चुनाव हार गए। 1985 में भारतीय जनता युवा मोर्चा से शुरूआत करने वाले अजय भट्ट सन् 1996 में अविभाजित उत्तर प्रदेश में पहली बार रानीखेत से भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए। उत्तराखण्ड गठन के बाद 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव और 2012 में भी वह विधायक बने। 2017 में अजय भट्ट रानीखेत से विधानसभा का चुनाव हार गए थे। कई बार राज्य के मुख्यमंत्री के लिए भी उनके नाम की चर्चाएं उठती रही लेकिन वे मुख्यमंत्री बन सके। 2019 में वे हरीश रावत जैसे कांग्रेस के दिग्गज नेता को करीब साढ़े तीन लाख वोटों से हरा कर पहली बार नैनीताल सीट से सांसद बने।
राजनीति मे आने से पहले वे वकालत करते थे। उनकी पत्नी भी वकील हैं। उनके बच्चे और परिवार आज भी इस विरासत को आगे बढ़ा रहा है। कुमाऊँ विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई कर अल्मोड़ा कचहरी से उन्होंने अपनी वकालत प्रारंभ की। उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन में भी उनकी सक्रिय भूमिका देखने को मिली।