‘लेंड जिहाद’ से सांप्रदायिक माहौल खराब होने का एलर्ट
उत्तराखण्ड के कुछ क्षेत्रों में तेजी से हुई जनसंख्या वृद्धि से कुछ समुदायों के प्रवास के दुष्परिणाम सामने आने पर सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें हैं। इस जनसांख्यिकी बदलाव के कारण कुछ जगहों पर सांप्रदायिक माहौल खराब होने की आशंका है। जिस पर चिंता व्यक्त करते हुए डीजीपी, सभी जिलाधिकारियों और एसएसपी को समस्या के समाधान के लिए एहतियाती कदम उठाने का निर्देश दिया गया है। अधिकारियों से सभी जिलों में समितियों का गठन करने को कहा गया है जो इस मुद्दे के समाधान के लिए प्रशासन को सुझाव देंगी। इसके अलावा शांति समितियों का भी गठन किया जाना चाहिए और स्थिति की समीक्षा के लिए समय.समय पर उनकी बैठकें आयोजित की जानी चाहिए। सभी जिलों में ऐसे क्षेत्रों की पहचान की जानी चाहिए और वहां रहने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। कहा गया है कि राज्य के बाहर से आने वाले और इन क्षेत्रों में रहने वाले आपराधिक रिकॉर्ड वाले लोगों की सूची भी उनके मूल निवास स्थान का सत्यापन करने के बाद तैयार की जानी चाहिए। जिलाधिकारियों को ऐसे क्षेत्रों में अवैध भूमि सौदों पर नजर रखने और यह देखने के लिए कहा गया है कि लोग डर या दबाव में अपनी जमीन न बेचें। जाली पहचानपत्र या मतदाता पहचानपत्र प्राप्त करने वाले विदेशी मूल के लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
यह मामला तब उठा है जब कुछ समय पहले बीजेपी नेता अजेंद्र अजय ने उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को एक चिट्ठी लिख कर पहाड़ी और पूजा स्थलों के आसपास एक खास समुदाय के जमीन खरीदने पर आपत्ति जताई थी और उन्होंने इस पूरे मामले को ‘लैंड जेहाद’ करार दिया था। इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि एक विशेष समुदाय के लोग न केवल अपने उपासना स्थल बना रहे हैं, बल्कि कुछ क्षेत्रों में थोक में जमीन भी खरीद रहे हैं जिससे राज्य के मूल निवासियों का पलायन हो रहा है। इसी पत्र पर अब सरकार की प्रतिक्रिया सामने आयी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि लंबे समय से चर्चा चल रही है कि राज्य में कुछ इस प्रकार के लोग आकर बस गए हैं जिससे डेमोग्राफिक परिवर्तन देखने को मिल रहा है, जिसकी जांच होनी चाहिए। हालांकि मुख्यमंत्री ने साफ कहा है कि ये जांच किसी को निशाना बनाने के लिए नहीं की जा रही है।