संविधान मानवाधिकारों और मानव मूल्यों का दस्तावेज : संजय पारिख
उत्तराखण्ड इंसानियत मंच के प्रेस क्लब में आयोजित तीसरे वार्षिक सम्मेलन में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट , PUCL के पूर्व उपाध्यक्ष ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान मानवाधिकारों और मानव मूल्यों का दस्तावेज है I इसलिए इसका संरक्षण व अनुपालन करने का दायित्व सरोकारों का, और हर नागरिक का है I इसी के जरिये ही मानवता को और देश व देश वासियों के हितों की रक्षा हो सकती हैं l
उन्होंने कहा कि भारत का संविधान इसीलिए दुनिया का महातम संविधान है कि उसकी नींव में मानव मूल्य और मानवाधिकार हैं। दुनिया में मानवाधिकारों से संबंधित संस्थाएं जिन भी अधिकारों की बात करती हैं, वे सभी भारत के संविधान में मौजूद हैं। दुनिया के महिलावादी संगठन महिलाओं के अधिकारों की जितनी बातें करती हैं, वे भी भारत के संविधान में पहले से मौजूद हैं।
पारिख ने कहा कि भारत के संविधान में नागरिकों को दिये गये मूल अधिकार हों, मूल कर्तव्य हों या फिर नीति निर्देशक तत्व, सभी में मानव मूल्य और मानवाधिकार निहित हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस अधिकार के तहत न सिर्फ सूचना का अधिकार मिला है, बल्कि चुनाव में उम्मीदवारों के बारे में पूरी जानकारी चुनाव आयोग को देने का प्रावधान भी इसी अधिकार के तहत किया गया है।
संविधान की उद्देशिका के बारे में बोलते हुए उन्होने कहा कि इसमें लिखे गये स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व शब्द हमारे संविधान को मानव मूल्यों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसलों में समता और स्वतंत्रता जैसे संवैधानिक मूल्यों का तो अक्सर जिक्र होता है, लेकिन बहुत कम फैसलों में बंधुत्व का जिक्र होता है। जबकि सच्चाई ये है कि बिना बंधुत्व के समता और स्वतंत्रता का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि बंधुत्व नहीं होगा तो समाज मे समता और समानता को स्थापित कर पाना भी सम्भव न हो पाएगा I उन्होंने कहा कि देश के विकास का मतलब समान रूप से सभी देशवासियों का विकास होना है I इसके लिए सबसे जरूरी है कि सभी देशवासियों के बीच शांति और एक दूसरे के प्रति भाइचारे सद्भाव और समता की भावना व विचार का होना I उन्होंने कहा कि देशभक्त वही है जिसमें ऐसी सोच व भावना होती है और जो इसके लिए आवाज उठाता है I
अपने संबोधन के बाद उन्होंने लोगों के प्रश्नों का उत्तर देकर उनकी जिज्ञासा को भी शांत किया l
इंसानियत मंच के वरिष्ठ साथी रवि चोपड़ा ने बताया कि इंसानियत मंच जो विभिन्न अमन पसंद संघठनो और नागरिकों का साझा मंच है , उत्तराखंड को , यहां नफ़रती तत्वों द्वारा फैलाई जा रही नफरत की आग से बचाने के लिए निरंतर प्रयासरत है I
मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह मंच की ओर से निर्मला बिष्ट द्वारा दिया गया l
मुख्य अतिथि संजय पारिख एवं मंचआसीन इंसानियत के विचार के समर्थक विभिन्न जन संगठन प्रतिनिधियों व पार्टी प्रमुखों के जरिए उत्तराखंड इंसानियत मंच के द्वारा प्रकाशित पुस्तिका “बचा सको तो बचा लो उत्तराखंड को ” का लोकार्पण भी किया गया l
सभा में सभी प्रतिभागियों व सभी उपस्थित पत्रकारों को पुस्तिका वितरित की गई l
तुषार रावत द्वारा बताया गया कि मंच की आवाज व उसके कार्यक्रमों की जानकारी जन जन तक पहुंच/ पहुंचाई जा सके इसके लिए इंसानियत मंच के द्वारा watsap चैनल भी शुरू किया गया है I उन्होंने यह भी बताया कि पुस्तिका के अंत मे जो QR ( चित्र) दिया है उसे स्कैन करने पर आप सीधे स्वतः इस चैनल से जुड़ जाएंगे I उन्होंने सभी से अपील की कि वे स्वयं तो इस चैनल से जुड़े ही लोगों को भी इससे जोड़ें इस तरह से वे मंच को आम जनता तक पहुंचाने का बहुत महत्व पूर्ण कार्य आसानी से कर सकेंगे I उन्होंने कहा कि पुस्तिकाओं की जरूरत हो या कोई भी जानकारी की तो वे पुस्तिका के अंत मे दिए गए संपर्क मोबाइल नंबर पर संपर्क कर सकते हैं I
इस सबसे पहले सम्मेलन की शुरुआत जनगीतों व जनजागरण के लिये सुप्रसिद्ध कठपुतली कलाकार के कठपुतली प्रदर्शन से हुई l तत्पश्चात उत्तराखंड इंसानियत मंच के त्रिलोचन भट्ट ने तीन वर्षों की रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि राज्य में बढ़ती साम्प्रदायिक घटनाओं के बीच मानव मूल्यों और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए इस मंच का तीन वर्ष पहले गठन किया गया था। एक छोटी सी शुरुआत लगातार आगे बढ़ रही है। तीन वर्षों के दौरान मंच द्वारा किये गये कार्यों का ब्योरा देते हुए उन्होंने उम्मीद जताई कि एक दिन जरूर आएगा जब उत्तराखंड की धरती से नफरत को विदा होना पड़ेगा।
उत्तराखण्ड महिला मंच व इंसानियत मंच नेत्री कमला पंत ने मंच की भावी योजनाओं के बारे में बताया कि मंच को अब सभी के सहयोग से राज्य के हर जिले व ब्लॉक तक पहुंचाने के प्रयास किये जाएंगे तथा जगह जगह जनता के बीच जाकर नुक्कड सभा व पर्चों के जरिए वहां शांति दल गठन के भी प्रयास तेज किए जाएंगे जिसके प्रयास शुरू भी हैं I कॉलेज व स्कूलों में छात्र-छात्राओं तक भी शांति सद्भाव के विचार को पहुंचाने के लिए कार्य योजना तैयार की जाएगी I इसके साथ ही साथ सबसे उत्तराखंड को नशा और नफरत से और विकास के नाम पर काटे जाने वाले पेड़ों को कटने से बचाने के लिए भी काम करने का भी आव्हान किया , शांति दल केकार्यकर्ताओं की ट्रेनिंग व्यवस्था की बात भी उन्होंने रखी। उन्होंने मंच की पुस्तिका व पर्चों को व मंच के चैनल को जन जन तक पहुंचाने की भी सभी से अपील की I
मंच का संचालन परमजीत सिंह कक्कड़ और चंद्रकला ने किया। चंद्र कला ने मुख्य अतिथि एवं सभी प्रतिभागी जन संगठनों, दलों , मंच कार्यकर्ताओं व उपस्थित मंच के समर्थकों व शांति सद्भाव के संदेश वाहक पत्रकारों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए शांति सद्भाव के विचार की महत्ता और जरूरत को बहुत मजबूती से सभी के सम्मुख प्रस्तुत किया l
। सतीश धौलाखंडी और उनके साथियों ने जनगीत गाये। रामलाल भट्ट ने कठपुतली के माध्यम से संवैधानिक मूल्यों और मानवता का संदेश दिया।
इस मौके पर डॉo रवि चोपड़ा, प्रोoराघवेन्द्र , थॉमस सेन, निर्मला बिष्ट, तुषार रावत, विजय भट्ट, एस एन सचान, इंद्रेश मैखुरी, चिंतन सकलानी , योध राज त्यागी , मधवाल जी, गंगाराम nautiyal, सुरेन्द्र सजवाण, अरोरा , पद्मा गुप्ता,विमला, समदर्शी बडथ्वाल, अल्मास , जितेन्द्र भारती, बिज्जू नेगी, हरिओम पाली, राकेश अग्रवाल, संजीव ghildiyal , सहित लगभग कुल 200 लोगों ने सम्मेलन में प्रतिभाग किया l