आतंकी हमलों के बाद फिर कश्मीरी पंडितों का पलायन

सरकार की लाख कोशिशों के बाद कश्मीर में आतंकवाद पर लगाम नहीं लग पा रही है। ऐसा हालिया घटनाओं से ऐसा लग रहा है कि 1990 में जो हालात थे कश्मीर उसी ओर लौट रहा है। 5 दिनों में ही आतंकवादियों द्वारा 4 अल्पसंख्यक सहित 7 लोगों की गई हत्या से अल्पसंख्यों में भय व्याप्त है। इन हत्याओं में 6 हत्याएं तो ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में हुईं। ताजा आतंकी हमलों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को निशाना बनाए जाने के बाद यहां इस कदर डर बैठ गया है कि कई परिवार जान बचाने के लिए जम्मू भाग आए हैं। चुन-चुन कर की जा रही हत्याओं के डर के कारण वर्षों से वहां रह रहे कई अल्पसंख्यक अध्यापक, व्यवसायी और गुजर-बसर के लिए छोटे मोटे काम करने वाले लोग डर के मारे जम्मू आ गये हैं। 20 साल से अध्यापन कर रहे एक अध्यापक का तो यह तक कहना है कि इनमें वे लोग भी शामिल हैं जिन्हें सरकारी पैकेज पर नौकरी मिली थी। कश्मीर घाटी से जम्मू के जगती कैंप पहुंचे एक व्यक्ति का कहना कि जरूरी काम से घर से बाहर निकलने पर हमें यह भी भरोसा नहीं होता कि हम जिन्दा भी लौट पायेंगे। अब तो घरों में भी डर लगने लगा है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों पर हमले रोकने और अमन बहाली के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिये।अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों के खिलाफ जम्मू में कई जगह प्रदर्शन हुए हैं। प्रवासी पंडितों के एक समूह ने आतंकवादियों द्वारा मारे गए समुदाय के सदस्यों को श्रद्धांजलि देने के लिए जम्मू में कैंडल मार्च निकाला।

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