उत्तराखंड के लोक कलाकार सड़कों पर उतरे
Dehradun. उत्तराखंड संस्कृति विभाग के एक फरमान से राज्य के तमाम लोक कलाकार आंदोलन है इन कलाकारों को अपेक्षा अनुसार काम तो नहीं मिलता, अलबत्ता जो भी न्यूनतम काम मिल रहा है अब उसके भुगतान पर जीएसटी ठोकने का फरमान जारी हो गया है अतः राज्य के लोक कलाकार सड़कों पर उतर आए हैं
लोक कलाकारों का मुख्य विषय और मांग यह है कि-
लोक कलाकारों पर बेवजह GST थोपी गई है। जबकि नियम के मुताबिक 20 लाख के टर्नओवर वाले को GST के दायरे में लाया जाता है। संस्कृति विभाग में अनुबंधित 272 सांस्कृतिक ग्रुप में कोई ऐसा ग्रुप नहीं है जिसका टर्नओवर 20 लाख हो। लाख से ऊपर कोई भी ग्रुप सालभर में संस्कृति विभाग के कार्यक्रम नहीं करता है।
लोक कलाकारों को जिला स्तर पर ही सांस्कृतिक कार्यक्रम करने होंगे ताकि उत्तराखंड की संस्कृति का आदान प्रदान न हो? यह नया फरमान संस्कृति विभाग का आया है। जिसके विरुद्ध में सभी लोक कलाकार है। मांग है कि जब जिला स्तर पर ही कार्यक्रम करने है और भुगतान भी जिला स्तर से होना है तो सरकार को अब संस्कृति विभाग में सभी तैनात कर्मचारियों, अधिकारियों को किसी अन्यत्र विभाग में समायोजित करना होगा।
लोक कलाकारों को अब तक कलाकार कल्याण कोष से कोई भी फायदा नहीं हो रहा है। सरकार से मांग है कि इस कोष को बहाल किया जाए।
लोक कलाकारों को पूर्व की भांति यानी 2010 से पहले के अनुसार ही संस्कृति विभाग कार्यक्रमों से जोड़े। मांग है कि जिस तरह से संस्कृति विभाग किसी भी इवेंट के दौरान टैंट, पंडाल आदि सभी प्रकार के व्यवस्थाओं का उचित समय पर भुगतान करता है उसी तरह संस्कृति विभाग लोक कलाकारों का भुगतान करें। लगभग सभी ग्रुपों का संस्कृति विभाग पर सालो से लाखों का उधार पेंडिंग पड़ा हुआ है जो अबतक नहीं हुआ है।
कलाकारों के भुगतान के समय विभाग के कर्मचारी, अधिकारी मदद नहीं करते, बजाय उल्टा कलाकारों के भुगतान में कटौती करते है। यह कटौती वे आने जाने के किराए के भुगतान में अधिक करते है। मांग है कि उत्तराखंड के अधिकांश पहाड़ी क्षेत्रों में बसे नहीं चलती, यहां अधिकांश जगत टैक्सियां चलती है जिसका किराया बस से दुगुना है। ऐसे में विभाग के कर्मचारी, अधिकारी कलाकारों के भुगतान में भारी कटौती करते है।
संस्कृति विभाग का कोई ऐसा रोस्टर नहीं है जिससे अनुबंधित ग्रुपों या कलाकारों को सांस्कृतिक कार्यक्रमों से जोड़ा जाए। मांग है कि संस्कृति विभाग विधिवत एक रोस्टर बनाए जिसके मार्फत सभी कलाकार विभाग के सांस्कृतिक कार्यक्रमों से लाभान्वित हो पाए।