गंगा में रेल पटरी की ऐतिहासिक सच्चाई
-डॉ0 सत्यनाराण शर्मा
हरिद्वार में हरकी पैड़ी के सामने सफाई के लिये की गई गंगा बंदी के कारण दिख रही रेलवे लाइन पुराना मायापुर नहर व भीमगोडा बैराज निर्माण काल मे बनी थी। यह पटरी मायापुर डाम कोठी के केशव आश्रम के समीप से लेकर हाथीपुल गऊघाट तक ऊपर गङ्गा किनारे थी ,तथा गौ घाट पुल से वर्तमान आर्चपुल के नीचे पुराने बैराज-गार्डन तक तथा बैराज से लाल जी वाला लाल कोठी होती हुई दूधिया बन्द तक यह पटरी थी।जिसका प्रमाण भगीरथ बिंदु के पास स्थित पटरी पुल जो आज भी विद्यमान है।
मायापुर डाम कोठी से अंग्रेज अधिकारी, छोटी हाथ से खींचने वाली ट्रैन ट्रॉली जो इस पटरी पर चलती थी जिसे सरकारी सेवक धक्का लगा कर चलाते थे, बैठ कर निरीक्षण करने आते जाते ,तथा कालांतर में यहां बने अत्यधिक सौन्दर्यमयी गार्डन का आंनद लेने डाम कोठी मायापुर से ट्रॉली पर बैठकर आनन्द लेने आया करते थे।
ज्ञात हो कि भीमगोडा बैराज से वर्तमान अपच घाट के मध्य अत्यंत सुन्दर भव्य आकर्षक विशाल गार्डन भी हुआ करता था जिसमे से एक छोटी नहर निकल कर अपच घाट गङ्गा में मिलती थी जो बाग के बीच बहती थी जिसके बीच बीच मे आकर्षक फुव्वारे भी थे।इस नहर में भीमगोडा डाम के किनारे गङ्गा से मोटरों द्वारा पानी लिया जाता था, उन मोटरों व एक फव्वारे के अवशेष आज भी भीमगोडा बैराज से हरकीपोड़ी जाने वाले जल निकासी के समीप आज भी स्थित है।कश्मीर के गुलमर्ग गार्डन की भांति शोभायमान यह गार्डन हुआ करता था।
लेखक सहित हरिद्वार के अनेको व्यक्तियों ने भी उस ट्रॉली की सवारी की । उस गार्डन में घूमने व खेलने जाया करते थे । वह ट्रॉली उस समय पुल पर निर्मित हाथियों के नीचे बने चेम्बर में खड़ी रहती थी। अतः भ्रमित न हों यह पटरी गंग नहर व भीमगोडा बैराज के निरीक्षण हेतु अंग्रेज सरकार द्वारा अंग्रेज अधिकारियों के आवागमन व निरीक्षण की सुविधा हेतु निर्मित की गई थी।