प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सभी के लिए आवास

केंद्रीय बजट सभी के लिए आवास के सपने को साकार करता है। पिछले सात वर्षों में ग्रामीण आवास की जरूरतों को पूरा करने की गति तेजी से बढ़ी है शहरी आवास योजना के तहत लोगों के जीवन को आसान बनाने हेतु मुख्य रूप से जोर दिया गया है।

इस बजट का एक महत्वपूर्ण पहलू गरीबों का कल्याण है। हर गरीब के पास पक्का घर, नल से पानी, शौचालय और गैस की सुविधा हो, इस पर विशेष ध्यान दिया गया है

– केंद्रीय बजट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन

सभी के लिए आवास: केंद्रीय बजट 2022-23 की प्रमुख घोषणाएं[1]:

  • प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वर्ष  2022-23 तक 80 लाख घरों का निर्माण किया जाएगा जिसमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के सभी पात्रों को लाभान्वित किया जाएगा।
  • इस योजना के लिए 48,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
  • केन्द्र सरकार शहरी क्षेत्र में मध्यम वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए किफायती आवास को बढ़ावा देने हेतु भूमि और निर्माण संबंधी मंजूरी में आवश्यक समय को कम करने के प्रति राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करेगी।
  • 2022-23 के केंद्रीय बजट से देश में आवास क्षेत्र को एक नई मुकाम मिली है। पिछले सात वर्षों में, सरकार ने “सभी के लिए आवास-2022” सुनिश्चित करने की दृष्टि से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आवास की स्थिति में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास कर रही है।

प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी: एक परिवर्तनकारी कदम

भारत पिछले 15 वर्षों में तेजी से शहरीकरण हो रहा है। अनुमान के मुताबिक, हर मिनट 30 भारतीय ग्रामीण से शहरी इलाकों की ओर पलायन करते हैं। 2011 में, भारत की 30 प्रतिशत आबादी शहरी क्षेत्रों में रहती थी। 2030 तक, यह 40 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है। तब भारत के शहरों में रहने वाले लोगों की संख्या 630 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान है [2]। लिहाजा सभी के लिए पर्याप्त और बेहतर आवास की व्यवस्था सुनिश्चित करना जरूरी हो जाता है।

सरकार ने एक परिवर्तनकारी कदम उठाते हुए 25 जून 2015 को प्रधान मंत्री आवास योजना-शहरी की शुरुआत की। इससे शहरी गरीबों के लिए आसान जीवन और शहरी प्रवासियों के लिए सम्मानजनक आवास सुनिश्चित करने की सुविधा उपलब्ध है। यह मिशन आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग / निम्न आय समूह और मध्यम आय समूह वाली श्रेणियों, जिनमें झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोग शामिल हैं, के लिए शहरी आवास की कमी को दूर करने का काम करता है। इसका उद्देश्य वर्ष 2022 तक सभी योग्य शहरी परिवारों को पक्का घर सुनिश्चित करना है। इससे पहले 2 जून 2011 में शहरी क्षेत्रों के लिए राजीव आवास योजना की शुरुआत की गई थी[3]। लेकिन इस योजना का आकार विस्तृत नहीं था। 31 दिसंबर 2014 तक[4], (राजीव आवास योजना के प्रारंभिक चरण के तहत) 54 पायलट परियोजनाओं और 228 शहरों को शामिल किया गया था। कुल परियोजना की लागत 2468.51 करोड़ रुपये की थी जिसमें केंद्रीय हिस्सा 1361.84 करोड़ रुपये था।

शहरी प्रवासी रहने का खर्च कम करने के लिए झुग्गी-झोपड़ियों/अनौपचारिक बस्तियों/अनधिकृत कॉलोनियों/पेरी-शहरी क्षेत्रों में रहते हैं। उन्हें अपने कार्यस्थलों पर किफायती दर पर अच्छे किराये के आवास की आवश्यकता है। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने प्रधान मंत्री आवास योजना- शहरी के तहत एक उप-योजना, किफायती रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लेक्स शुरू की है। यह औद्योगिक क्षेत्र के साथ-साथ अनौपचारिक शहरी अर्थव्यवस्था में शहरी प्रवासियों/गरीबों को उनके कार्यस्थल के करीब सम्मानजनक किफायती किराये के आवास तक उनकी पहुंच बनाने में मदद करेगा।

1 जनवरी 2020 तक, प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी के तहत 35 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में 4427 शहरों (श्रेणी I के 472 शहरों सहित) का चयन किया गया था।

  • 3 जनवरी 2022 तक कुल मिलाकर 1.14 करोड़ घरों को मंजूरी दी गई है[5], जिनमें से 53.42 लाख घरों को पूरा कर दिया गया है और उन्हें वितरित किया जा चुका है।
  • 16 लाख घरों का निर्माण नई तकनीकों का उपयोग करके  किया जा रहा है[6]

महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में सरकार के प्रयासों को जारी रखते हुए पिछली योजनाओं के विपरीत प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी ने इस मिशन के तहत ईडब्ल्यूएस और एलआईजी की परिवार की महिला मुखिया के लिए घर का मालिक या सह-मालिक होना अनिवार्य कर दिया गया है[7]

2 फरवरी 2022 तक पीएमएवाईयू की प्रगति[8]:

प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण

2022 तक “सभी के लिए आवास” के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, पूर्ववर्ती ग्रामीण आवास योजना “इंदिरा आवास योजना” को 1 अप्रैल, 2016 से प्रधान मंत्री आवास योजना – ग्रामीण के रूप में पुनर्गठित किया गया था।

संशोधित योजना निम्नलिखित पहलुओं में महत्वपूर्ण थी[9]:

  • लाभार्थियों के चयन के लिए तीन चरणों वाले सत्यापन (सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना 2011, ग्राम सभा, और भू-टैगिंग) के माध्यम से प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण हेतु सबसे गरीब व्यक्ति का चयन सुनिश्चित किया गया है।
  • लाभार्थियों के खाते में निधि का सुचारू प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए आईटी/डीबीटी सहित विभिन्न उपायों को अपनाना गया।
  • स्थानीय स्तर पर क्षेत्र-विशिष्ट के टाइपोलॉजी का अध्ययन करने के बाद नए आवास डिजाइन किए गए हैं।
  • निर्माण के सभी पूर्व-निर्धारित चरणों में भू-टैग की गई तस्वीरों के माध्यम से साक्ष्य-आधारित निगरानी अपनाई गई है।
  • मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम के माध्यम से लेनदेन सुनिश्चित किया गया है।
  • मकानों को समय पर पूरा करने के लिए निधि की पर्याप्त व्यवस्था, ग्रामीण राजमिस्त्रियों का प्रशिक्षण आदि।

इन सभी उपायों ने मकानों के निर्माण की गति में वृद्धि सुनिश्चित की। यह नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी) के अध्ययन में परिलक्षित हुआ है, जिसमें 314 दिनों की तुलना में प्रधान मंत्री आवास योजना-ग्रामीण में पूर्णता का औसत समय 114 दिनों का संकेत दिया गया है।

*आईएवाई को 1 अप्रैल 2016 से प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) में पुर्नोत्थान किया गया है[10]

**इस आंकड़े में 2014 के बाद आईएवाई के तहत पूरे हुए 73 लाख घर भी शामिल हैं[11]। आंकड़े 27 दिसंबर 2021 तक के हैं[12]

पीएमएवाईजी की मुख्य बातें:

पीएमएवाईजी: प्रगति

  • महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने हेतु यह योजना महिला सदस्य के नाम पर या संयुक्त नाम पर घरों का स्वामित्व प्रदान करती है[13]। 24 जनवरी 2022 तक, 66.90 प्रतिशत घर या तो महिला लाभार्थियों के नाम पर हैं या पत्नी और पति दोनों के संयुक्त नाम से हैं[14]
  • प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण और शहरी) का लक्ष्य सभी बेघर परिवारों, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों, कम आय वाले समूहों, मलिन बस्तियों तथा कच्चे और जीर्ण-शीर्ण घर में रहने वाले परिवारों को बुनियादी सुविधाओं के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में तीन करोड़ पक्के घर और शहरी क्षेत्रों में दो करोड़ पक्के घर उपलब्ध कराना है।
  • यह भी उल्लेख किया जा सकता है कि 2014-15 के बाद से, आवास कार्यों की गति में काफी तेजी आई है जिसमें पूर्व की इंदिरा आवास योजना भी शामिल है। कार्यक्रम को पूरा करने के लिए पर्याप्त धन के अलावा अन्य सुधारों पर जोर दिय गया है जिससे लगभग 73 लाख घरों को पूरा किया गया है[15]
  • पीएमएवाई-जी के तहत, योजना के पहले चरण यानी 2016-17 से 2018-19 तक 92 प्रतिशत काम पूरा करने का लक्ष्य हासिल किया गया है[16]
  • ·       24 जनवरी 2022 तक, पीएमएवाई-जी के तहत 1.70 करोड़ पक्के घरों का निर्माण किया गया है और 2014 के बाद इंदिरा आवास योजना के तहत अन्य 73 लाख घरों का निर्माण किया गया है।
  • पूरे देश में पीएमएवाई-जी के तहत 2.17 करोड़ घरों को मंजूरी दी गई है[17]
  • 2021-22 के दौरान 24 जनवरी 2022 तक पूरे देश में पीएमएवाई-जी के तहत 32.18 लाख घरों का निर्माण किया गया है[18]
  • अन्य सरकारी योजनाओं के साथ इस मिशन के माध्यम से बुनियादी जरुरतों जैसे शौचालय का निर्माण, पाइप से पीने का पानी, बिजली कनेक्शन, एलपीजी गैस कनेक्शन और मनरेगा के तहत  90/95 व्यक्ति प्रति दिवस के अकुशल श्रमिकों को काम उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया है[19]।  
  • इससे पहले 8 दिसंबर 2021 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण को मार्च 2024 तक बढ़ाने का फैसला किया है[20]

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