पंचायती राज मंत्रालय द्वारा स्थानीय शासन में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उठाये जा रहे है महत्वपूर्ण कदम
महिला जनप्रतिनिधियों की स्वायत्तता और प्रभावी भागीदारी के लिए किया गया है सलाहकार समिति का गठन
मंत्रालय के संज्ञान में आया है कि एक मीडिया रिपोर्ट में यह उद्धृत किया गया है कि “भेदभाव से ग्रस्त महिला जनप्रतिनिधि” I इस सम्बन्ध में प्रकाशित लेख पर, मंत्रालय ने तथ्यात्मक स्थिति स्पष्ट की है I
प्रकाशित आलेख “भेदभाव से ग्रस्त महिला जनप्रतिनिधि” में नेतृत्व पदों में महिलाओं की स्वीकार्यता के मुद्दे पर चिंता व्यक्त की गयी है। लेख में उल्लेख किया गया है कि 73वें संविधान संशोधन अधिनियम के तहत स्थानीय सरकारों में महिलाओं को दिए गए एक तिहाई आरक्षण के बावजूद, वास्तविक सत्ता कई जगह पुरुष सदस्यों के हाथ में बनी हुई है। ‘सरपंच पति’ की प्रवृत्ति को लैंगिक समानता के प्रयासों के विरुद्ध बताया गया है।
पंचायती राज मंत्रालय ने पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व और भागीदारी को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें शामिल हैं:
महिला सभाओं का संस्थागतकरण: मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से, ग्राम सभाओं से पहले महिला और बाल-बालिका सभाओं को संस्थागत बनाने का अनुरोध किया है।
प्रॉक्सी उपस्थिति पर रोक: मंत्रालय ने राज्यों से अनुरोध किया है कि वे पंचायत की आधिकारिक बैठकों में महिला सरपंचों या वार्ड सदस्यों के पतियों की प्रॉक्सी उपस्थिति की अनुमति न दें।
सतत विकास लक्ष्यों का स्थानीयकरण: मंत्रालय ने सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण की शुरुआत की है, जिसमें “महिला हितैषी पंचायतों” पर विशेष ध्यान दिया गया है। यह लैंगिक समानता हासिल करने और महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाने पर केंद्रित है।
क्षमता निर्माण: महिला जनप्रतिनिधियों के नेतृत्व क्षमता के संवर्द्धन के लिए प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे आईआईएम और अन्य राष्ट्रीय संस्थानों में प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है।
सलाहकार समिति का गठन: भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिनांक 06.07.2023 के आदेश के आलोक में, पंचायती राज मंत्रालय ने 19.09.2023 को एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मंत्रालय ने “महिला प्रधानों का प्रतिनिधित्व उनके परिवार के पुरुष सदस्यों द्वारा किए जाने के मुद्दे की जांच करने और उनसे संबंधित अन्य मुद्दों की जांच करने के लिए एक सलाहकार समिति का गठन किया है”। यह कदम महिला जनप्रतिनिधियों की स्वायत्तता और प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
पंचायती राज मंत्रालय का मानना है कि सरकार, समाज, परिवार और सभी हितधारकों के सहयोग से, महिला नेतृत्व में पंचायतों में उत्कृष्ट कार्य किये हैं। इसका प्रमाण राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कारों के अलावा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारतीय महिला नेताओं की उपलब्धियों से मिलता है। उदाहरण के लिए, संयुक्त राष्ट्र में 3 मई, 2024 को आयोजित “Localizing the SDGs: Women in Local Governance in India Lead the Way” कार्यक्रम में भारत की तीन महिला जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसी तरह, जून 2024 में श्रीलंका के कोलंबो में CLGF’s Commonwealth Women in Local Government Network कार्यक्रम में भी भारतीय महिला प्रतिनिधियों को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए आमंत्रित किया गया। ये उदाहरण स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि भारत की महिला जनप्रतिनिधि न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि वैश्विक मंच पर भी अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर रही हैं।
पंचायती राज मंत्रालय महिला जनप्रतिनिधियों के सशक्तीकरण को लेकर लगातार प्रयासरत है और उनके उत्कृष्ट कार्यों को राष्ट्रीय परिदृश्य पर प्रस्तुत करने का निरंतर प्रयास करता है। जनजागरूकता पहलों के माध्यम से मंत्रालय समाज में महिला नेतृत्व की स्वीकार्यता बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है।