ग्रीन टेक्नोलॉजी में इंस्ट्रूमेंटेशन टेक्निक वक्त की जरूरत

टीएमयू में रिसर्च ट्रेंडस इन ग्रीन एसपेक्ट्स ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी-आरटीजीएएसटी पर दो दिनी इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का आगाज

  • ख़ास बातें
  • धरा पुरखों की अमानत, इसे रखें पॉल्यूशन फ्रीः वाइस चांसलर
  • -मुख्य वक्ता ग्रीन सिंथेसिस टेक्निक-केमिकल डॉकिंग पर भी बोले
  • कॉन्फ्रेंस युवाओं के लिए साबित होगा एक बेहतर प्लेटफॉर्मः रजिस्ट्रार
  • -प्रो. आरके द्विवेदी ने सस्टेनेबल डवलपमेंट पर डाला प्रकाश
  • -डॉ. दीपक पंत ने नए यौगिकों के संश्लेषण पर डाली रोशनी
  • -देश- विदेश के 150 से ज्यादा लोगों ने किया प्रतिभाग
  • -बीस प्रस्तुत किए गए ओरल एंड पोस्टर प्रजेंटेशन भी

प्रो.श्याम सुंदर भाटिया/डॉ. वरुण सिंह
रिसर्च टेस्टिंग एंड केलिब्रेशन लेबोरेट्री-आरटीसीएल के महाप्रबंधक डॉ. आरके शर्मा ने कहा, मानव जीवन के दिन की शुरूआत ही केमिस्ट्री से होती है। उन्होंने केमिस्ट्री को मानव जीवन का अभिन्न अंग बताते हुए कहा, धरा की सेहत को संजीदगी से लेना होगा। ऐसे में इंस्ट्रूमेंटेशन टेक्निक वक्त की जरूरत है। उन्होंने कॉन्फ्रेंस में प्रतिभागियों को उत्साहित करते हुए कहा कि युवा अपनी स्टडी के साथ-साथ सैद्धांतिक सोच भी विकसित करें, ताकि पर्यावरण प्रदूषण के निराकरण पर एक ठोस रणनीति बन सके। डॉ. शर्मा ने रिसर्च टेस्टिंग एंड केलिब्रेशन लेबोरेट्री-आरटीसीएल में उपलब्ध सहूलियतों का उल्लेख करते हुए टीएमयू के स्टुडेंट्स को आरटीसीएल में आने का आमंत्रण भी दिया ताकि वह अपनी प्रायोगिक दक्षता बढ़ा सकें। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग एंड कम्प्यूटिंग साइंसेज-एफओईसीएस के रसायन विभाग की ओर से हरित प्रौद्योगिकी-रिसर्च ट्रेंडस इन ग्रीन एसपेक्ट्स ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी-आरटीजीएएसटी पर दो दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। कॉन्फ्रेंस की शुरूआत मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलन और वंदना के साथ हुई। इस मौके पर टीएमयू के कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह, रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा, एफओईसीएस के निदेशक एवम् कॉन्फ्रेंस जनरल चेयर डॉ. आरके द्विवेदी, केमिस्ट्री विभाग के एचओडी डॉ. गजेंद्र चौहान, कन्वीनर डॉ. आसीम अहमद, ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री डॉ. सौविक सुर की गरिमामयी उपस्थिति रही। सभी अतिथियों को शाल ओढ़ा कर सम्मानित किया गया। कॉन्फ्रेंस प्रोसिडिंग का विमोचन हुआ। कॉन्फ्रेंस के दौरान बीस ओरल एंड पोस्टर प्रजेंटेशन भी प्रस्तुत किए गए। नॉर्टन थोरासिस इंस्टीट्यूट फॉनिक्स, यूएसए की डॉ. संध्या बंसल भी वर्चुअली मौजूद रहीं।

कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह ने कहा कि यह धरा हमारे पुरखों से हमें एक विरासत के रूप में मिली है। इसे स्वच्छ और पॉल्यूशन फ्री रखें ताकि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत कर सकें। प्रो. सिंह ने कहा कि मौजूदा वक्त किसी एक विषय में महारत हासिल करने का नहीं, बल्कि संबंधित और सब्जेक्ट्स का भी ज्ञान होना आवश्यक है। इसी के मद्देनजर उन्होंने साइंस एंड टेक्नोलॉजी में केमिस्ट्री के महत्व पर प्रकाश डाला। सीडीआरआई, लखनऊ के भूतपूर्व वैज्ञानिक डॉ. एके सक्सेना बतौर मुख्य वक्ता बोले, ग्रीन सिंथेसिस टेक्निक में केमिकल डॉकिंग आज कदम से कदम मिलाकर चल रहा है। नए ड्रग्स के सिंथेसिस और डिजाइनिंग में केमिकल डॉकिंग प्रक्रिया से कम्प्यूटर मॉडलिंग के जरिए किसी विशेष बीमारी के लिए जिम्मेदार वायरस या बैक्टीरिया के टारगेट प्रोटीन की पहचान की जाती हैै। इससे नए ड्रग के सिंथेसिस में समय और ऊर्जा की बचत होती है। साथ ही विषैले रासायनिक पदार्थाें के उत्सर्जन को कम किया जाता है। रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा ने उम्मीद जताई है, यह कॉन्फ्रेंस युवाओं को एक बेहतर प्लेटफॉर्म देगी। इन दो दिनो में विशेषज्ञों के अनुभवों को वे आत्मसात करें ताकि एक बेहतर कल का निर्माण हो सके। कॉन्फ्रेंस जनरल चेयर प्रो. आरके द्विवेदी ने अतिथियों का गर्मजोशी से स्वागत करते हुए सस्टेनेबल डवलपमेंट पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस कॉन्फ्रेंस के सफल आयोजन के लिए पूरी ऑर्गेनाइजिंग टीम को बधाई दी। ब्लेंडेड मोड में आयोजित इस कॉन्फ्रेंस में देश- विदेश के 150 से ज्यादा लोगों ने प्रतिभाग किया। कॉन्फ्रेंस में सेंट्रल यूनिवर्सिटी हिमाचल प्रदेश से डॉ. दीपक पंत बतौर कीनोट स्पीकर वर्चुअली उपस्थित रहे। डॉ. पंत ने ग्रीन केमिस्ट्री के मद्देनजर नए यौगिकों के संश्लेषण पर विस्तृत प्रकाश डाला। साथ ही युवाओं को प्रोत्साहित किया कि नए यौगिकों के सिंथेसिस के दौरान यह ध्यान रखा जाए कि विषैले पदार्थाें का उत्सर्जन कम हो। कॉन्फ्रेंस में फॉर्मेसी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अनुराग वर्मा, डॉ. कृष्ण अवतार गुप्ता, डॉ. वरुण सिंह, डॉ. नवनीत कुमार, डॉ. एमके चीनी, प्रोक्टर श्री राहुल विश्नोई, प्रो. एसपी पाण्डे, डॉ. अमित शर्मा, डॉ. अजीत चौहान, डॉ. जरीन फारुख आदि की भी मौजूदगी रही।

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