अन्तर्राष्ट्रीय खयाति के भौतिक विज्ञानी डॉ0 श्रीकृष्ण जोशी
तपोभूमि के नाम से विख्यात उत्तराखण्ड की धरती ने ऋषि-महर्षि व साधु-सन्त ही नहीं अपितु अनेक लेखक, कवि, साहित्यकार, वैज्ञानिक योद्धा, क्रान्तिकारी और ऐसे महापुरुष इस देश की क्षोली में डाले हैं जिनकी प्रेरणा आने वाली पीढ़ी को हमेशा प्रेरित करती रहेगी। अपनी पहचान कायम करने के लिए निरन्तर संघर्षशील उत्तराखण्ड की धरती पर संघर्षरत् और पद्मश्री सहित अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित अन्तर्राष्ट्रीय खयाति के भौतिक विज्ञानी डा0 श्रीकृष्ण का जन्म 6 जून 1935 को हुआ था। इनके 175 शोधपत्र प्रकाशित हुये हैं और उनके सानिध्य में 25 शोधार्थी पी0एच0डी0 के लिए निर्देशन प्राप्त कर चुके हैं। मूलतः पिथौरागढ़ जिले के अनरपा निवासी उत्तराखण्डप के इस सपूत ने रक्षा अनुसंधान तथा विकास संगठन के चेयरमैन के पद तक पहुँचने के लिए विभिन्न संस्थानों का लम्बा सफर तय किया।
श्रेष्ठ उपलब्धियों और भौतिकी के क्षेत्रा में उल्लेखनीय योगदान के लिए 1991 में भारत सरकार द्वारा ‘पद्मश्री’ से सम्मानित डा0 श्री कृष्ण को अनेकों राष्ट्रीय पुरस्कारों से भी विभूषित किया गया। 1965 में बाटूमल मेमोरियल पुरस्कार, 1972 में शान्ति स्वरूप भटनागर पुरस्कार, 1973 में सी0एस0आई0आर0 सिल्वर जुबली पुरस्कार, 1974 में मेघनाथ साह पुरस्कार, 1987 मे के0एस0 कृष्णनन मेमोरियल पुरस्कार, 1989 में आई0ए0सी0एस0 कलकत्ता द्वारा महेन्द्र लाल सरकार पुरस्कार प्रदान किया गया। 1990 में फिक्की द्वारा पुरस्कृत, 1993 में गोयल फाउन्डेशन द्वारा गोयल पुरस्कार, 1994, 1995 व 1996 में क्रमशः कुमाऊँ, कानपुर तथा बनारस विश्व विद्यालयों द्वारा ‘डाक्टर आफ साइंस’ की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया।
सन् 1962 में इलाहाबाद विश्व विद्यालय से भौतिकी में पी0एच0डी0 करने बाद 1957 में इनको लेक्चचर के रूप में वहीं नियुक्ति मिल गई। 1965 तक आठ साल विश्वविद्यालय की सेवा करने के बाद इसी वर्ष कैलीफोर्निया रीवर साइड (यू0एस0ए0) विश्व विद्यालय में विजिटिंग लेक्चचर के रूप में अपनी सेवाएँ दी। वे 1995 से 1967 तक इस पद पर कार्य करते रहे इसके बाद रूड़की विश्व विद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष नियुक्त हो गये। उन्होंने यहाँ 19 वर्ष तक कार्य किया। डा0 जोशी 1986 में नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला के निदेशक नियुक्त होकर 1991 तक इस पद पर रहे। 1991 से 1995 तक उन्हें ‘काउन्सिल ऑफ साइंटिफिक एण्ड इण्डस्ट्रीयल रिसर्च’ के डायरेक्टर जनरल रहने का भी अवसर मिला। इसके बाद वे रक्षा अनुसंधान तथा विकास संगठन के चेयरमैन के पद पर आसीन हुए।
डा0 श्रीकृष्ण जोशी 1974 में इण्डियन नेशनल साइंस एकेडेमी के फेलो रहे हैं। उन्होंने 1993 से 1995 तक इस संस्था का अध्यक्ष पद भी सुशोभित किया। 1974 से ही वे इण्डियन एकेडेमी आफ साइंसेज के भी फेलो और 1989 से 1991 तक उपाध्यक्ष रहे। 1995 में मैटीरियल रिसर्च सोसाइटी आफ इण्डिया तथा 1996-97 में इण्डियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे।