टीएमयू में घुटना प्रत्यारोपण बेहद सुरक्षित

तीर्थंकर महावीर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के ऑर्थाे विभाग की ओर से नी रिप्लेंसमेंट पर हुई वर्कशॉप में बोले विशेषज्ञ

  • ख़ास बातें
  • मेडिसिन के एचओडी प्रो. वीके सिंह बतौर मुख्य अतिथि रहे मौजूद
  • डॉ. एसके जैन की रही बतौर गेस्ट ऑफ ऑनर गरिमामयी मौजूदगी
  • घुटनों के जोड़ों की तकलीफ को नहीं करें नजरअंदाजः प्रो. पंत
  • प्रो. अमित सराफ बोले, इंडिया में घुटनों के दर्द की बीमारी आम
  • वर्कशॉप में आर्थो के पीजी रेजिडेंट्स ने सीखे ऑपरेशन के तरीके

प्रो.श्याम सुंदर भाटिया
तीर्थंकर महावीर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के ऑर्थाे विभाग की ओर से नी रिप्लेंसमेंट पर हुई वर्कशॉप में आर्थो विशेषज्ञों का मानना है, भारत में एक उम्र के बाद बुजुर्गों को घुटनों की गठिया की आम शिकायत होती है। यह सच है, बढ़ती उम्र के साथ घुटनों के गठिया का जोखिम भी तेजी से बढ़ता है। जब दवाइयां और घुटनों के टीके बेअसर हो जाते हैं तो घुटनों का प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प बचता है। इससे पूर्व मेडिसिन विभाग के एचओडी प्रो. वीके सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि दीप प्रज्ज्वलित करके वर्कशॉप का शुभारम्भ किया। इस मौके पर वाइस प्रिंसिपल प्रो. एसके जैन बतौर गेस्ट ऑफ ऑनर जबकि सुप्रीटेंडेंट प्रो. अजय पंत बतौर ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन मौजूद रहे। इनके अलावा आर्थो विभाग के एचओडी प्रो. अमित सराफ, डॉ. सुधीर सिंह, डॉ. मनमोहन शर्मा आदि की भी उपस्थिति रही। प्रो. सिंह ने कहा, तीर्थंकर महावीर चिकित्सालय में घुटने के प्रत्यारोपण की सभी आधुनिक सहूलियतें उपलब्ध हैं। वर्कशॉप का संचालन डॉ. शुभम अग्रवाल और डॉ. हमजा हबीब ने किया।

वर्कशॉप में आर्थो विभाग के पीजी रेजिडेंट्स को आर्टीफिशियल हड्डियों पर ऑपरेशन की प्रक्रिया को गहनता से बताया गया। डेमो के इस पै्रक्टिकल में डॉ. आदित्य झा, डॉ. गौशल आजम, डॉ. एजाज गनी, डॉ. लाल श्रीकांत, डॉ. कपिल यादव, डॉ. वनीत अरोड़ा, डॉ. दिव्यम जिंदल, समेत 30 पीजी रेजिडेंट्स ने शिरकत की। उल्लेखनीय है, घुटनों का प्रत्यारोपण एक जटिल प्रक्रिया है, इसीलिए पीजी स्टुडेंट्स को समझाने के लिए यह वर्कशॉप आयोजित की गई। इससे पूर्व वर्कशॉप में सुप्रीटेंडेंट प्रो. अजय पंत बोले, अफसोस इस बात का है कि बेइंतहा दर्द होने के बावजूद बुजुर्ग बीमारी को तो सहते रहते हैं, लेकिन हड्डी विशेषज्ञों को दिखाने नहीं आते हैं। बहुतेरे रोगी तब आते हैं, जब उनके घुटने का जोड़ पूरी तरह से खराब हो चुका होता है। ऐसे में एकमात्र विकल्प जोड़ बदलना ही रहता है। उन्होंने सलाह दी, यदि समय रहते इलाज कराएंगे तो घुटने के ऑपरेशन से बचा जा सकता है। आर्थो के विभागाध्यक्ष प्रो. सराफ ने कहा, लोगों में यह धारणा बिल्कुल गलत है, घुटने के प्रत्यारोपण के बाद मरीज तकलीफ में रहता है। अब घुटनों का प्रत्यारोपण नवीनतम तकनीक से किया जाता है। नतीजतन मरीज ऑपरेशन के दूसरे दिन चलने-फिरने लगता है। बिना किसी सहारे सीढ़ियां चढ़-उतर सकता है। पालती भी मार सकता है।

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