फर्जी प्रमाण पत्रों से नौकरी पाने वालों के पक्ष में प्रबंध समिति, नहीं कर रही कार्यवाही

हरिद्वार जनपद में भ्रष्टाचार का एक ऐसा मामला है जिसमें फर्जी प्रमाण पत्रों के द्वारा नौकरी पाने वाले 19 कर्मचारियों के साथ पूरी प्रबंध संमिति ही खड़ी है। देश में शायद ही ऐसा कोई मामला हो जिसमें शासन की ओर से कराई गई जांच में अनियमितताएं सामने आने के बावजूद आरोपी कर्मचारियों को नोटिस देकर उनके विरूद्ध कार्यवाही करने के बजाय प्रबंध समिति द्वारा कर्मचारियों के विरुद्घ कार्रवाई नहीं किए जाने का प्रस्ताव पारित करते हुए पत्र शासन को पत्र भेजा गया हो।
अब अपर निबंधक सहकारी समितियां उत्तराखंड ईरा उप्रेती ने खेलकूद के फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी पाने वाले कर्मचारियों का गलत तरीके से चयन होने पर स्पष्टीकरण के लिए नोटिस जारी करने और नोटिस का जवाब संतोषजनक न मिलने पर अतिशीघ्र उनकी सेवाएं समाप्त करने की कार्रवाई करने के लिए सहकारी बैंक के चेयरमैन व प्रबंध समिति को पत्र भेज कर निर्देश दिये हैं।
गौरतलब है कि वर्ष 2016-17 में जनपद के जिला सहकारी बैंक में सहयोगी/गार्ड के 19 पदों भर्ती हुई थी। भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं की शिकायत मिलने पर शासन की ओर से कराई गई जांच रिपोर्ट में काफी अनियमितताएं सामने आई थीं। इस भर्ती प्रक्रिया में अभ्यर्थियों के द्वारा लगाये गये खेलकूद के प्रमाणपत्र भी फर्जी पाए गए थे। जिस पर शासन की ओर से प्रबंध समिति को फर्जी प्रमाणपत्र देने वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई के निर्देश जारी किए गए थे। लेकिन 9 जून, 2021 को हुई बोर्ड बैठक में मात्र 2े संचालकों को छोड़कर 11 सदस्यों ने फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी पाने वालों को नोटिस जारी करने के प्रस्ताव का विरोध किया था। चर्चा है कि भर्ती प्रक्रिया में भारी लेन-देन और भ्रष्टाचार के चलते ही प्रबंध समिति के सदस्यों ने अपने-अपने केंडीटेड सेट कर उनको नियुक्तियां दी थी। जिस कारण वे एक जुट होकर अभिलेखों के फर्जी पाये जाने के बावजूद उनके विरूद्ध कार्यवाही के प्रस्ताव का समर्थन नहीं कर रहे हैं।

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