गंगा संरक्षण के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को मिला ‘विशेष जूरी पुरस्कार’
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) को 7वें भारतीय उद्योग जल सम्मेलन और फिक्की जल पुरस्कारों के 9वें संस्करण में ‘विशेष जूरी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है। 2 से 3 मार्च, तक वर्चुअल तरीके से आयोजित सम्मेलन में पुरस्कार प्रदान किया गया है
फिक्की जल पुरस्कारों की प्रतिष्ठित जूरी ने गंगा संरक्षण के लिए एनएमसीजी के किए महत्वपूर्ण काम को स्वीकार किया। इस जूरी में डॉ. मिहिर शाह, प्रतिष्ठित प्रोफेसर, शिव नादर विश्वविद्यालय और जूरी के अध्यक्ष; प्रो. ए. के. गोसाईं, प्रोफेसर, सिविल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी, दिल्ली; डॉ हिमांशु कुलकर्णी, संस्थापक ट्रस्टी और कार्यकारी निदेशक, एडवांस्ड सेंटर फॉर वाटर रिसोर्सेज डेवलपमेंट एंड मैनेजमेंट (एसीडब्ल्यूएडीएएम), और श्री वी. के. माधवन, मुख्य कार्यकारी, वाटरएड इंडिया शामिल हैं।
पुरस्कार के साथ प्रशस्ति पत्र में लिखा है: ‘जूरी जल प्रबंधन में आदर्श बदलाव लाने के लिए एनएमसीजी के किए गए अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य को मान्यता देना चाहता है, भले ही गंगा नदी के संरक्षण का उनका प्रयास अभी चल रहा है। जूरी गंगा नदी के चारों ओर सही मायने में एक जन आंदोलन बनाने के लिए प्राथमिक हितधारकों को शामिल करने पर और अधिक काम करने की आवश्यकता पर जोर देती है और उन सभी विभागों और एजेंसियों को एक साथ लाने पर अधिक ध्यान देना चाहती है जिनके गंगा संरक्षण में संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है। गंगा को फिर से जीवंत करने के लिए इसके पूरे नदी क्षेत्र पर काम करने की आवश्यकता है। इसके परस्पर जुड़े जल विज्ञान संबंधी और परितंत्र के साथ, जो न केवल नदी के मुख्य भाग तक सीमित है, बल्कि इसकी विभिन्न धाराओं तक काम करने की जरूरत है। इसमें नदी को बहने का आधार प्रदान करने वाले जलवाही स्तर भी शामिल है।’
प्रशस्ति पत्र पूरे गंगा बेसिन के संरक्षण (पुनरुद्धार) के कार्य की जटिलता और विविध हितधारकों, खासकर लोग-नदी संबंध के साथ जुड़ने के महत्व को रेखांकित करता है, जो इस चुनौतीपूर्ण कार्य के लिए एनएमसीजी के तरीके का आधार बनता है।