अब शांत और खामोश हैं कॉरिडोर के मुद्दे पर दहाड़ने वाले व्यापारी नेता
डॉ० रमेश खन्ना (वरिष्ठ पत्रकार )
हरिद्वार की राजनैतिक दलों की धड़ेबाजी की राजनीति अब व्यापार मंडलों में भी घुसपैठ कर गई है। कॉरिडोर के मुद्दे पर दहाड़ने वाले व्यापारी नेता अब शांत और खामोश है। यह सारा खेल लक्सर के पूर्व विधायक की सोची समझी रणनीति के तहत किया और चंद महत्वाकाँक्षी व्यापारियों को प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री के आवास पर ले जाकर उन्हें मुख्यमंत्री से आश्वासनों का लॉलीपॉप देकर चलता कर दिया गया। बाजार बंद करने, आन्दोलन, धरने व् प्रदर्शन करने का डंका पीटने वाले अब मौनी बाबा बन गए हैं। सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री के यहां जाने के मुद्दे पर व्यापार मंडल अंदरूनी तौर पर दो धडों में बंट गए हैं। व्यापारी एकता के नारे चित होकर आखिरी सांसे ले रहे हैं ।
उधर सरकार ने सी०सी०आर० में कॉरिडोर का कार्यालय खोलकर एक हजार पन्नों की रिपोर्ट (सर्वे रिपोर्ट) पर अमली जामा पहनाकर उसे डी०पी०आर० बनाने के लिए केंद्र सरकार को भेज दिया हैं।
इस एक हजार पन्नों की सर्वे रिपोर्ट की कॉपी हरिद्वार के एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा आर०टी०आई० में प्राप्त की गई है। जिसमें अपर रोड, मोती बाजार, भीमगोडा, जूना अखाड़ा स्थित माया देवी, कनखल चण्डी देवी व् मंशा देवी कई बिंदुओं पर कड़ी आपत्तियाँ जताई गई हैं। अगर यह आपत्तियाँ डी०पी०आर० बनाकर धरातल पर आती है, तो धर्म की तीर्थ नगरी अपने पौराणिक स्वरूप से हटकर मात्र सैलानियों और पर्यटकों की सैरगाह बन जाएगी।
राजा भृतहरि की तपस्थली, भगवान दत्तात्रेय की तपस्थली, भगवान शिव की अर्धांगिनी माँ पार्वती की योगअग्नि से देह त्यागने और उनके शव को लेकर भटकते महादेव तथा सती के सव के 52 टुकड़ों में से एक जहां माता सती की नाभी गिरी थी, वह सिद्धपीठ माया देवी आधुनिकता और विकास के अधड में अपना आध्यात्मिक व् पौराणिक स्वरूप खोकर मात्र यहां आने वाले यात्रियों के लिए हरिद्वार मैं बने सैकड़ो नये मन्दिरों की श्रेणी में शुमार हो जायेंगे, उनका पौराणिक स्वरूप लुप्त होना हरिद्वार की महता के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण होगा। व्यापारियों की बात करनी अर्थहीन है वह राजनैतिक दलों की चिकनी चुपड़ी आश्वासनों की खिचड़ी में उलझे हुए हैं।
हरिद्वार के धर्म ध्वजवाहकों की चुप्पी तो समझ आ रही है कि अपनी अधिकांश पुरानी संपत्तियों के मामूली किराए पर रह रहे किराएदारों से छुटकारा पाकर कई हजार करोड़ के मुआवजे के लिए टकटकी लगाकर कॉरिडोर की योजना के जल्दी से जल्दी धरातल पर उतरने और मुआवजे की मोटी राशि पर निगाह लगाए हुए हैं ।
हरिद्वार में प्रतिवर्ष वर्षा ऋतु में जल भराव की स्थिति हो जाती है। चन्द्राचार्य चौक में जल भराव की समस्या तो पूरे शहर के लिए शर्मनाक है। हरिद्वार में गरीब तबके के लिए कोई चिकित्सालय आधुनिक सुविधाओं से युक्त नहीं है, ले देकर एम्स हॉस्पिटल ऋषिकेश में है परन्तु वहाँ की स्थिति भी कुंभ मेले में परेशान घूमते मरीजों जैसी है शंकराचार्य चौक पर शाम को आधे आधे घंटे का जाम लगता है शंकराचार्य चौक की क्या स्थिति होने वाली है इसके लिए कोई योजना नहीं है। पार्किंग का मुद्दा भी शहर में काफी दयनीय हालत में है। अरबों रूपयों की पेनल्टी प्राधिकरण ने पार्किंग के नाम पर वसूल रखी है, लेकिन एक गाड़ी की भी पार्किंग की व्यवस्था नहीं हो पायी रही हैं।
रोड़ी बेलवाला में उत्तर प्रदेश की रिजर्व कुम्भ मेला लैंड पर हरिद्वार में रहे एक पूर्व अधिकारी ने मोटे बजट की कमीशन में शुरू करवा दी जिस पर काफी पैसा लगा भी दिया गया, परन्तु नैनीताल उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीशों ने उत्तर प्रदेश सरकार की जमीन पर मेला लैंड होते हुए भी पार्किंग बनाने के काम पर स्थगन आदेश पारित कर इस काम को रुकवा दिया है इस मुद्दे पर भी कई विभागों पर उंगलियां उठ रही है। ताजूब है इतने बड़े मसले पर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों चुप्पी साधे हुए हैं।
इस बार बिजली की आँख मिचौली से भी यात्रा सीजन पर काफी असर पड़ा। हरिद्वार के ऐसे दर्जनों मुद्दे हैं जिनका आज तक हल नहीं निकाला, इन मुद्दों को नजर अंदाज कर अरबों के कॉरिडोर प्रोजेक्ट को लेकर कमिशन के ही कई करोड़ खाने के लिए विभिन्न विभागों और अधिकारियों की जीप लप-लपा रही है। ऐसे में व्यापारियों की स्थिति “नक्का रखाने में तूती की आवाज कौन सुनता हैं।” जैसी हैं।