देशभर में बिजली संकट : उत्तराखण्ड में भी हो सकती है पावर कट

कोयला संकट के कारण देशभर में कोयले से चलने वाले विद्युत उत्पादन संयंत्रों के ठप्प होने की स्थिति आ गयी है। केन्द्र ने भी उत्तराखण्ड का बिजली कोटा घटा दिया है। यह इसलिए किया गया है जिन जगहों पर कोल आधारित बिजली संयंत्रों का उत्पादन प्रभावित हो रहा हैए वहां आपूर्ति की जा सके। देश में नेशनल एक्सचेंज के तहत राज्यों को मिलने वाली बिजली के दामों में तीन गुना तक वृद्धि हो चुकी है। उत्तराखण्ड को अभी तक 5 से 5.50 रूपये प्रति यूनिट बिजली मिल रही थे अब इसके दाम अब बढ़कर 15 से 15.50 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच गए हैं। केन्द्र से बिजली का कोटा कम होने के कारण उत्तराखण्ड में भी पावर कट की शुरूआत हो चुकी है। राज्य में रोजाना चार से पांच मिलियन यूनिट की किल्लत हो रही हैए जिसकी भरपाई फिलहाल रोस्टर से ही की जा रही है। अगर जल्दी ही हालात नहीं सुधरे तो लोगों को अंधेरे में रहना पड़ सकता है। बिद्युत संकट के कारण उद्योग-धंधों के साथ आम लोगों का जीवन प्रभावित होगा। रविवार को अवकाश के बाद आज सोमवार के कई उद्योग और कार्यालय खुलने के विद्युत की डिमांड बढ़ेगी ऐसे में अधिकारियों के सामने सामन्य आपूर्ति बनाये रखना बड़ी चुनौती है। उनके पास अलग-अलग क्षेत्रों हेतु कुछ समय के लिए विद्युत सप्लाई में कटौती कर रोस्टर से आपूर्ति बनाये रखने के अलावा कोई चारा नहीं है। हालांकि पहले से ही उत्तराखण्ड में त्यौराही सीजन के लिए यूपीसीएल द्वारा डाले गये तीन टेंडरों से राज्य में राहत की उम्मीद की जा रही है। क्योंकि अक्टूबर के लिए 75 मेगावाट का टेंडर है जबकि नवंबर और दिसंबर के लिए 120-120 मेगावाट के दो टेंडर है। उत्तराखण्ड पॉवर कार्पाेरेशन का कहना है कि वह आपूर्ति बनाये रखने का हरसंभव प्रयास करेगा और त्यौहारी सीजन में बिजली की कमी नहीं होने देगा। उत्तराखण्ड सरकार भी गैस आधारित प्लांट से बिजली लेने का प्रयास कर रही है।

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