प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया गेट पर किया नेताजी सुभाष चंद्र बोस की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया। इस होलोग्राम प्रतिमा को 30,000 लुमेन 4के प्रोजेक्टर द्वारा संचालित किया जाएगा। एक अदृश्य, हाई गेन, 90 फीसदी पारदर्शी होलोग्राफिक स्क्रीन इस तरह से लगाई गई है कि यह यहां आने वाले लोगों को नजर नहीं आ रही है। होलोग्राम का सटीक प्रभाव उत्पन्न करने के लिए उस पर नेताजी की थ्रीडी तस्वीर लगाई जाएगी। होलोग्राम प्रतिमा 28 फीट ऊंची और 6 फीट चौड़ी है। इस अवसर पर उन्होंने वर्ष 2019, 2020, 2021 और 2022 के लिए सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार भी प्रदान किए।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत मां के वीर सपूत नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जन्म जयंती पर पूरे देश की तरफ से मैं आज कोटि-कोटि नमन करता हूं। ये दिन ऐतिहासिक है। ये कालखंड भी ऐतिहासिक है। और ये स्थान जहां हम सब एकत्रित है, वो भी ऐतिहासिक है। भारत के लोकतंत्र के प्रतीक हमारी संसद पास में है। हमारी क्रियाशीलता और लोकनिष्ठा के प्रतीक अनेक भवन भी पास हैं। हमारे शहीदों को समर्पित नेशनल वॉर मेमोरियल भी पास है। उन्होंने कहा कि इस मौके पर हम इंडिया गेट पर महोत्सव मना रहे हैं और नेताजी को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि दे रहे हैं। नेताजी ने हमें संप्रभु भारत का विश्वास दिलाया, जिन्होंने बड़े गर्व के साथ, बड़े आत्मविश्वास, साहस के साथ अंग्रेजी सत्ता के सामने कहा था- मैं स्वतंत्रता की भीख नहीं लूंगा। मैं इसे हासिल करूंगा। जिन्होंने भारत की धरती पर पहली आजाद सरकार को स्थापित किया, हमारे उन नेताजी की भव्य प्रतिमा इंडिया गेट के समीप स्थापित हो रही है। जल्द ही इस होलोग्राम की जगह ग्रेनाइट की विशाल प्रतिमा लगेगी।

उन्होंने कहा कि नेताजी की यह प्रतिमा हमारी लोकतांत्रिक संस्था, पीढ़ियों और कर्तव्य का बोध कराएगी। आने वाली और वर्तमान पीढ़ी को निरंतर प्रेरणा देती रहेगी। पिछले साल से देश ने नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाना शुरू किया है। नेताजी कहते थे कि कभी भी स्वतंत्र भारत के सपने का विश्वास मत खोना, दुनिया की कोई ताकत नहीं है, जो भारत को झकझोर सके। आज हमारे सामने आजाद भारत के सपनों को पूरा करने के लक्ष्य हैं। हमारे सामने आजादी के सौंवें साल से पहले यानी 2047 के पहले नए भारत के निर्माण का लक्ष्य है। नेताजी को देश पर जो विश्वास था, उनके इन भावों के कारण मैं कह सकता हूं कि दुनिया की कोई ताकत नहीं है, जो भारत को इस लक्ष्य तक पहुंचने से रोक सके। उन्होंने कहा कि ये दुर्भाग्य रहा कि आजादी के बाद देश की संस्कृति और संस्कारों के साथ कई महान हस्तियों की याद को मिटाने का काम किया गया। उनके इतिहास को सीमित करने की कोशिश की गई। लेकिन आजादी के दशकों बाद देश उन गलतियों को डंके की चोट पर सुधार रहा है। आप देखिए बाबासाहेब अंबेडकर से जुड़े पंचतीर्थों के विकास का काम देश में जनभागीदारी से हो रहा है। सरदार पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी हमने भारतवासियों को समर्पित की। भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय दिवस के तौर पर मनाने की शुरुआत हमने कर दी है।

उन्होंने कहा कि नेताजी बोस के जीवन से जुड़ी हर विरासत को देश पूरे गौरव से संजो रहा है। अंडमान में तिरंगा लहराने की घटना के 75वें वर्ष पर वहां एक द्वीप का नाम नेताजी के नाम पर रखा गया है। इस बार नेताजी के साथ इंडियन नेशनल आर्मी के साथ एक श्रद्धांजलि है, जिन्होंने आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। नेताजी बोस कुछ ठान लेते थे, तो उन्हें कोई ताकत नहीं रोक सकती थी। हमें नेताजी की कैन डू, विल डू के मंत्र से प्रेरणा लेनी चाहिए। हमें उनकी इस बात से प्रेरणा लेनी चाहिए कि हमें राष्ट्रवाद को जिंदा रखना है। हम मिलकर नेताजी बोस के सपनों का भारत बनाने में सफल होंगे।

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