पालिका चुनाव में प्रत्याशियों के लिए भारी रहेंगे जनता के मुद्दे
शिवालिकनगर नगर पालिका के वार्ड न0-9 सुभाषनगर में क्या हैं मुद्दे…… जानने के लिए पढ़े यह रिपोर्ट
– त्रिलोक चन्द्र भट्ट
सुभाषनगर (शिवालिकनगर नगर)। निकाय चुनाव का शंखनाद होने के साथ नगरपालिका अध्यक्ष और विभिन्न वार्डों से प्रत्याशियों के लोगों की दोवदारी सामने आने लगी है। जीत के दावे प्रत्याशी बनने से पहले ही किये जाने लगे हैं। लेकिन उनका एजेंडा क्या होगा? जनसरोकारों पर वे कितने खरे उतरेंगे? समाज के प्रति अब तक प्रत्याशियों की समाजाजिक और रचनात्मक भूमिका और सोच क्या रही इस पर मतदाता भी मंथन करने लगे हैं।
नगर पाालिका शिवालिकनगर के माध्यम से कुछ गलियों में सीसी रोड और स्ट्रीट लाइट के कुछ कार्य ऐसे रहे हैं जो पिछले पांच साल में दिखाई दिये हैं लेकिन उनकी गुणवत्ता की बात करें तो मानकों पर वह खरी नहीं उतरती दिखाई दे रही हैं। सोलर लाइट व पोल में घोटाले की गूंज बहुत दूर तक गयी है। कूड़ा प्रबंधन में सिस्टम को मैनेज कर पालिका कितनी वाहवाही बटोर ले उसमें पालिका और जनप्रतिनिधियों का फेलयोर रहा है। अब जब नई स्थानीय सरकार के गठन की प्रक्रिया प्रारंभ हो रही है तो उस मिनी सरकार में शामिल होने के आतुर प्रत्याशियों के सामने ढेरों चुनौतियां हैं। जिसका सामना उन्हें मतदाताओं को रिझाने और उन्हें संतुष्ट करने में करना ही पड़ेगा।
शिवालिकनगर नगर पालिका के वार्ड नम्बर 9 से मतदाताओं से हुई चर्चा के बाद जो मुद्दे उभर कर सामने आये हैं यहां उनका उल्लेख करना जरूरी हो जाता है।
कूड़ा प्रबंधन
पूरे वार्ड में अधिकांश घरों के किरायेदार हैं लेकिन ये घर-घर कूड़ा संग्रह करने वालों को कूड़ा नहीं देते। मकान मालिक उनसे मोटा किराया तो लेता है लेकिन 50 रूपया यूजर चार्ज देकर कूड़े वाले को अनिवार्य रूप से कूड़ा देने को नहीं कहते। वह सारा कूड़ा सुभाषनगर-सैक्टर 3 मार्ग पर फैंका जाता है। कुल गलियों के मकान मालिक भी वहां कूड़ा फैंक कर आने-जाने वाले रास्ते र गंदगी फैलाने से पीछे नहीं हैं।
नालियों की नियमित सफाई
गलियों में सफाई कर्मचारी नियमित सफाई न कर कभी-कभी आते हैं। नालियों से एक बार कूड़ा बाहर निकालने के बाद वह समय से उठाया नहीं जाता, और कई दिन तक ऐसे ही पड़ा रहता है। जिससे और गंदगी फैलती है। नालियों की सफाई भी ढंग से नहीं की जाती।
स्ट्रीट लाइट
गलियों में लगी स्ट्रीट लाइट अत्यंत घटिया क्वालिटी की लगायी गयी हैं। जो अक्सर खराब हो जाती हैं, लेकिन इन्हें समय से ठीक नहीं किया जाता। जिससे कई इलाके अंधेरे में डूबे रहते हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधिें नगर पालिका पर अपनी प्रभावी छवि बनाने में कामयाब नहीं रहे हैं।
बंदरो का आतंक
बंदरों के आतंक से स्थानीय लोग परेशान हैं। लोगों की फुलवारी, गमले छतों पर सूख रहे कपड़ों को ही नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं। बल्कि बाजार से आते-जाते हाथ में सामान देखकर उस पर झपट्टा मार रहे हैं। बंदरों के हमले में कई लोग घायल भी हुये हैं। लेकिन बंदरों को पकड़वाने और उनके आंतक से मुक्ति दिलाने के लिए कोई प्रभावी कार्यवाही घरातल पर नहीं उतर सकी है।
आवारा कुत्तों की समस्या
गलियों में आये दिन आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ती जा रही है। जो जगह-जगह लोगों के गेट, सड़क आदि पर मल मूत्र कर गंदगी करते हैं आते-जाते लोगों पर भौंकते हैं। कई बार-वाहनों के सामने आने से वाहन चालकों व स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों को समस्या होती है।
सीसी रोड की दुर्दशा
कई गलियों की सीसी रोड खराब हो चुकी हैं या टूटी-फूटी हैं। सुभाषनगर-सेक्टर 3 मार्ग की हालत काफी खराब हो गयी है। जगह-जगह सड़क पर गड्ढे हैं। लोग गड्ढों से अपने वाहन बचाने के लिए दायें-बांये काटते हैं जिससे कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। आन-जाने वालों को काफी परेशानी होती है। जिम्मेदार कई जनप्रतिनिधि और प्रत्याशी इस मार्ग से गुजरने हैं लेकिन शायद ही किसी ने इसकी सुध लेने की कोशिश की है।
शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वरोजगार जैसी सरकारी योजनाओं की जानकारी का अभाव
राज्य और केन्द्र सरकार अनेक ऐसी योजनाएं है जो निम्न आर्य वर्ग और गरीबों के लिए हैं। इसका न तो क्षेत्र में प्रचार किया जाता है न ही इनके बारे में जनप्रतिनिधियों को पर्याप्त जानकारी है। जबकि ऐसी योजनाओं से अनेक जरूरतमंदों की मदद हो सकती है। इसी तहर बिजली, पानी की कनेक्शन और बिलिंग जैसे अनेक समस्याएं हैं जिन पर मतदाना जानकारी और मार्गदर्शन की अपेक्षा अपने जनप्रतिनिधि से रखता है।