प्रसिद्ध समाजसेवी प्रोफ़ेसर सप्रे ने एसएमजेएन (पी जी ) कॉलेज में शिक्षकों से संवाद किया
हरिद्वार . आज एस एम जे एन (पी जी ) कॉलेज में एन आई टी भोपाल से सेवानिवृत्त निदेशक एवं प्रसिद्ध समाजसेवी प्रोफ़ेसर डॉ० सदानंद दामोदर सप्रे ने शिक्षकों से संवाद स्थापित किया । उन्होनें कहा कि शिक्षण में ही हर समस्या का समाधान है । शिक्षा ,चिकित्सा और अच्छे उदेश्य को लेकर जो कला प्रस्तुत हो रही है उसे समाज में आदर सम्मान प्राप्त हो रहा है ।
प्रोफ़ेसर दामोदर सप्रे ने कहा कि मैं और मेरा परिवार से आगे बढ़कर अच्छे शिक्षण का लाभ ‘ वसुधैव कुटुम्बकम ‘ के आधार पर मिलना चाहिए । शिक्षकों को युवा वर्ग को ध्यान में रखकर शोध कार्य करना चाहिए । इतिहास की सही जानकारी युवा पीढ़ी तक पहुंचाने का कार्य शिक्षक ही कर सकते है । हर मुद्दा सरकारी स्तर पर क्रियान्वित नहीं हो सकता उसमें समाज की भागीदारी आवश्यक है । भारतीय छात्र छात्राएँ इतिहास की सही जानकारी से अनभिज्ञ है। पिछले 1000 वर्षों को हम गुलामी का काल मानते है जबकि ये संघर्ष और वीरता का काल था । चोल वंश चालुक्य वंश अहोम वंश आदि कई स्वतन्त्र राजवंश इस समय रहे जिन्होनें पूर्व के अनेक देशों में राज्य स्थापित किया वहाँ इनकी छवि उदार शासकों के रूप में है ।
उन्होनें कहा विदेशों में हिन्दुओं के प्रति आदर का भाव है जिसका अनुभव मैंने अपनी विदेश यात्राओं में किया । प्रो सप्रे ने बातचीत के दौरान बताया कि पाठ्य पुस्तकों में भारतीय विद्वान और वैज्ञानिकों के योगदान को उनकी अपेक्षा के अनुरूप स्थान नहीं मिला है न्यूटन लॉ का नाम भास्कराचार्य होना चाहिए । भारतीय ज्ञान की विशेषता से तो अमेरिका जैसा देश भी प्रभावित है तभी तो विमान विद्या के लिये वो ‘ भारद्वाज संहिता ‘ की सहायता लेता है । अमेरिका ने अपनी कई सेटलाइट भारत में लांच की है | जिसका कारण यहाँ की तकनीकी गुणवत्ता है ।
प्रोफ़ेसर दामोदर सप्रे ने कहा कि शिक्षकों को भारतीय ज्ञान परम्परा से सम्बधित पुस्तकों का अध्ययन एवं अध्यापन का कार्य करना चाहिए। इसमें सबसे आवश्यक बात है कि कोई भी जानकारी प्रमाण के आधार पर ही प्रेषित की जानी चाहिए । प्राचीनकाल से लेकर आधुनिक काल तक की जानकारी का प्रसार होना चाहिए । शिक्षक की जिम्मेदारी है कि वह भारतीय ज्ञान परम्परा का विस्तार पूरे विश्व में फैलाये ।
उन्होंने नई शिक्षा नीति पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह कौशल विकास के साथ साथ युवा वर्ग में भारतीयता एवं भारतीय संस्कृति का भी समवर्धन करेगी इस अवसर पर प्रोफ़ेसर डॉक्टर सदानंद दामोदर सप्रे को अंग वस्त्र एवं स्मृति चिन्ह देकर कॉलेज के प्राचार्य प्रोफ़ेसर डॉक्टर सुनील बत्रा ने स्वागत सम्मान किया.
डॉo सप्रे के साथ वार्तालाप में डॉ० लता शर्मा , डॉ० आशा शर्मा , डॉ मोना शर्मा , डॉ० पूर्णिमा सुंदरियाल , डॉं पद्मावती तनेजा , डॉ० पुनीता शर्मा , डॉ मीनाक्षी शर्मा , रिंकल गोयल , रिचा मिनोचा , डॉ० यादवेन्द्र, अकित बंसल , विनित सक्सेना , डॉ० रजनी सिंघल आदि ने भाग लिया ।