प्रवासियों को अपनी जड़ों को जोड़ने का संकल्प लिये 55 की उम्र में 55 कि0मी0 की दौड़

त्रिलोक चन्द्र भट्ट
नव वर्ष के अवसर पर उत्तरखण्ड के प्रवासियों और निवासियों को अपनी जड़ों से जोड़ने के संकल्प से साथ वरि0 पत्रकार एवं मुंबई की सुप्रसिद्ध कौथिक फाउंडेशन के संयोजक केशर सिंह बिष्ट देहरादून से हरिद्वार की 55 कि0मी0 की दौर पूरी करते हुए आज हरिद्वार पहंुचे। राजधानी देहरादून से आज सुबह प्रारंभ हुई दौड़ में शामिल होकर होकर दून के साइकिल्स्टि और धावकों ने उन्हें नगर की सीमा तक छोड़ कर हरिद्वार के लिये विदा किया। दोपहर बाद शांतिकुंज के पास हरिद्वार की सीमा में प्रवेश करने पर पत्रकार त्रिलोक चन्द्र भट्ट श्री बिष्ट का अभिन्नदन कर उनके साथ दौड़ में शामिल हुए। वीआईआईपी घाट पहुंचने पर प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेन्द्र नाथ गोस्वामी, वरि0 पत्रकार रतनगणी डोभाल, दीपक नौटियाल, हिमांशु भट्ट, अमित कुमार आदि ने केशर सिंह बिष्ट का माल्यार्पण कर अभिनन्दन किया।


नये साल के पहले दिन 55 कि0मी0 की दौड़ पूरी करने वाले 55 वर्षीय श्री बिष्ट ने इस अवसर पर कहा कि ‘प्रवासी मीट’ के तहत उनकी कोशिश है कि प्रवासी और निवासी मिल कर उत्तराखण्ड को बेहतर बनाने के लिए साझा प्रयास करें। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की बड़ी आबादी का बाहर निकल जाना बड़ा नुकशानदायक है। जो लोग राज्य से बाहर गये हैं वे बहुत कम लौटकर आये हैं, उनकी कनेक्टीविटी अपने प्रदेश से नहीं हो पायी। जबकि दूसरे प्रदेश में ऐसा नहीं है। प्रवासी अपने घर आते-जाते रहे हैं। श्री बिष्ट ने कहा कि पलायन के कारण उत्तराखण्ड की आबादी मे जो गैप आया है उसको उन लोगों ने भरा जिनका मकसद यहां के संसाधनों से केवल पैसा कमाना रहा।


केशर सिंह बिष्ट ने कहा कि उत्तराखण्ड से निकलने के बाद हमारी बौद्धिक प्रापर्टी राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय क्षितिज पर तो पहुंची है लेकिन उसका लाभ हमारे उत्तराखण्ड को नहीं मिला। यह बहुत बड़ा बौद्धिक और आर्थिक नुकसान है। उन्होंने कहा हमारी कोशिश है कि बाहर गये लोगों और प्रतिभाओं को हम उनकी जड़ों से जोड़ें। श्री बिष्ट ने कहा कि उत्तराखण्ड छोटा राज्य है जिसमें अपार संभावनाएं हैं लेकिन हमारे प्रवासी उन संभावनाओं को नहीं समझ पायें कि इस प्रदेश में आकर उनके लिए भी बहुत कुछ गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि प्रवासियों का वापिस आना चाहिए और यहां की मूल धारा में शामिल होना चाहिए।

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