मानव अधिकारों पर चुनिंदा व्यवहार लोकतंत्र के लिए खतरा : मोदी
प्रधानमंत्री मोदी की खरी खरी-मानवाधिकार का बहुत ज्यादा हनन तब होता है जब उसे राजनीतिक रंग से देखा जाता है
हाल के वर्षों में मानवाधिकार की व्याख्या कुछ लोग अपने-अपने तरीके से, अपने-अपने हितों को देखकर करने लगे हैं। एक ही प्रकार की किसी घटना में कुछ लोगों को मानवाधिकार का हनन दिखता है और वैसी ही किसी दूसरी घटना में उन्हीं लोगों को मानवाधिकार का हनन नहीं दिखता। यह बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के स्थापना दिवस के अवसर पर कही।
प्रधानमंत्री मोदी ने इशारों ही इशारों ही इशारों में यह बात उन लोगों को सुनायी जो मानवाधिकार के हनन को केवल अपने नफे नुकसान के लिए देखते हैं। अपने इस संबोधन से प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर में सिखों और हिंदुओं की चुन-चुनकर हत्या पर चुप्पी ओढ़े विपक्षी दलों और मानवाधिकारों के लिए जब-तब प्रदर्शन करने व राजनैतिक चश्में से मानवाधिकार हनन को देखने वालों पर चोट की है। मोदी के इस बयान को पिछले दिनों कश्मीर में हिंदुओं और सिखों की टारगेट किलिंग से जोड़कर देखा जा रहा है। जिसमें उन्होंने स्पष्ट कहा कि एक ही प्रकार की किसी घटना में कुछ लोगों को मानवाधिकार का हनन दिखता है और वैसी ही किसी दूसरी घटना में उन्हीं लोगों को मानवाधिकार का हनन नहीं दिखता। पीएम मोदी ने कहा कि मानव अधिकारों पर चुनिंदा व्यवहार लोकतंत्र के लिए खतरा है। उन्होंने कहा, ‘मानवाधिकार का बहुत ज्यादा हनन तब होता है जब उसे राजनीतिक रंग से देखा जाता है, राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है, राजनीतिक नफा-नुकसान के तराजू से तौला जाता है। उन्होंने कहा कि इस तरह का सलेक्टिव व्यवहार, लोकतंत्र के लिए भी उतना ही नुकसानदायक होता है।