उत्तराखण्ड में अजब गजब : 35 प्रशिक्षु तहसीलदार तो बने, लेकिन ट्रेनिंग में फेल हो गये। दुबारा पास करनी होगी परीक्षा
देहरादून: सरकारी महकमों और अधिकारियों की अपने काम और प्रशिक्षण के प्रति कितनी गंभीरता है इसका सबसे बड़ा उदाहरण् उत्तराख्ण्ड में हुई तहसीलदारों की ट्रेनिंग है। जिसमें 36 में से 35 तहसीलदार फेल हो गये। अब तहसीलदारों को पुनः ट्रेनिंग पर लौटना होगा। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद परीक्षा होगी, जिसे उत्तीर्ण पास करने के दो महीने बाद उन्हें नियुक्ति दी जाएगी।
गौरतलब है कि उत्तराख्पण्ड में चयनीत नायब तहसीलदारों की पूर्व में हुई ट्रेनिंग के बाद कई प्रशिक्षु नायब तहसीलदार प्रशिक्षण परीक्षा में असफल हो गए थे, लेकिन इसके बावजूद उन्हें तैनाती दे दी गई थी। इस मामले ने राजस्व परिषद का ध्यान आकर्षित किये जाने के बाद न केवल अब नायब तहसीलदारों को पुनः प्रशिक्षण के लिए वापस बुलाने के आदेश दिए गए, बल्कि अल्मोड़ा स्थित प्रशिक्षण संस्थान के कार्यकारी निदेशक को भी पद से हटाकर बाध्य प्रतीक्षा में रख दिया गया है।
प्रशिक्षु नायब तहसीलदारों के फेल होने और उनकी तैनाती से जुड़ा यह मामला राज्यभर में चर्चा का विषय बना हुआ है, जिससे नायब तहसीलदारों के प्रशिक्षण की गुणवत्ता पर सवाल उठाये जा रहे हैं।
प्रशिक्षण संस्थान के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक श्रीश कुमार ने एक पत्र में प्रशिक्षु नायब तहसीलदारों के अनुशासन और व्यवहार में कई गंभीर कमियों का उल्लेख किया। उनके द्वारा पत्र में बताया गया कि 36 प्रशिक्षुओं में से 35 का आचरण संतोषजनक नहीं था, प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने नोट्स नहीं बनाए, कक्षाओं में मोबाइल पर व्यस्त रहे और 4 से 11 विषयों में निर्धारित मानकों से कम अंक प्राप्त किए। इस मामले के उजागर होने के बाद श्रीश कुमार को भी हटाकर उन्हें बाध्य प्रतीक्षा में भेज दिया गया। उनकी जगह कार्यकारी निदेशक के रूप में सीएस डोभाल की नियुक्ति की गई है, जिन्होंने पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (टत्ै) ले ली थी।
उधर राजस्व परिषद ने निर्णय लेते हुए उत्तराखण्ड के सभी जिलों में तैनात नायब तहसीलदारों को फिर से दो महीने की ट्रेनिंग के लिए वापस बुला लिया गया है। अब उन्हें एक दिसंबर से प्रशिक्षण संस्थान में दोबारा प्रशिक्षण विभिन्न परीक्षाओं को उत्तीर्ण करना होगा।