सुबेदार मेजर ने लहुलुहान होने के बाद भी नहीं छोड़ा रिंग, दुनियां हुई बहादुरी की कायल

11 कुमाऊं रेजिमेंट के सूबेदार मेजर सतीश कुमार प्रतिद्ववंदी के पंच से घायल होकर लहुलुहान हो चुके थे। लेकिन उन्होंने रिंग नहीं छोड़ा। टोकियो ओलंपिक में उन्हें जमैका के रिकार्डाे ब्राउन के खिलाफ प्री.क्वार्टर मैच में ठुड्डी और दाहिनी आंख पर गहरा कट लग गया था। उन्होंने प्री क्वार्टर फाइनल में जीत तो हासिल की लेकिन जख्म गहरा था। आंख तो बच गयी लेकिन आंख के पास ही आठ टांके लगे थे। फिर भी कुमाऊं रेजीमेंट के इस साहसी मुक्केबाज ने रिंग में प्रवेश किया। इसके बाद भी उन्होंने वर्ल्ड चौंपियन उज्बेकिस्तान के बोखोदिर जोलोलोव के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में एक शानदार लड़ाई लड़ी। वे रिंग में जीत तो हासिल नहीं कर सके लेकिन घायल होने के बाद भी आखिरी समय तक रिंग में डटे रह कर दुनियाभर के लोगों का दिल जीतने में कामयाब रहे। अब उनके पास लगातार लोगों के फोन आ रहे हैं, उनका कहना है कि ‘देश.दुनिया से लोग उन्हें इस तरह बधाई दे रहे हैं जैसे कि मैं जीत गया। मैं कई टांकों का दर्द झेल रहा हूं। मेरे सामने मरता क्या न करता वाली स्थिति थी। मैंने तय कर लिया था कि मुझे लड़ना है। अगर मैं लड़ाई नहीं करता तो मुझे हमेशा इसका पछतावा रहताण् अब मैं शांति से रह सकता हूं। मैं खुद से थोड़ा संतुष्ट हू क्योंकि मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया’।

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