सुभाषनगर-बीएचईएल मार्ग बना कूड़ा डंपिंग जोन, एनजीटी के आदेश हुए हवा

त्रिलोक चन्द्र भट्ट
हरिद्वार में शिवालिकनगर नगर पालिका के अंतर्गत सुभाषनगर के कुछ लोगों द्वारा सुभाषनगर-बीएचईएल मार्ग को कूड़ा डंपिंग जोन बना दिया गया है। सुभाषनगर के रहने वाले कुछ भवन स्वामी और उनके किरायेदार काफी समय से अपने घरों का कूड़ा-करकट और प्लास्टिक की पन्नियां बैरियर पर न0 8 पर बीएचईएल की खाली पड़ी जमीन पर फैंक रहे हैं। जबकि सुभाषनगर में घर-घर कूड़ा उठाने की व्यवस्था है, लेकिन कुछ लोग कूड़े वाले को कूड़ा नहीं देते। सिडकुल में नौकरी करने वाले कई लोग भी डियूटी जाते समय घर का कूड़ा एक पालीथीन में इकट्ठा कर लाते हैं और चलते-चलते यही फैंक देते हैं। कुछ लोग अपनी डेरी का गोबर भी यहीं फैंक रहे हैं जिससे बैरियर नम्बर 8 के आसपास कूड़े का ढेर लगा रहता है। जहां-तहां कूड़ा बिखरा होने के कारण बैरियर के आस-पास रहने वाले लोगों को दुर्गंध और गंदगी के कारण काफी परेशानी हो रही है। जहां कूढे़ के ढेर पर सुअर पड़े रहते हैं वहीं कूड़ा उड़कर सड़क और लोगों के घरों तक पहुंच जाता है।
कई बार कूड़े में आग लगा दी जाती है। जिससे लोगों को सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। यहां जलते कूड़े से कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही हैं। जलता हुआ कूड़ा न केवल हवा में जहर घोल रहा है बल्कि बिमारियां भी बढ़ा रहा है। आस पास के लोग सांस लेने की समस्याएं, खासी, सिददर्द की शिकायत करते हैं लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। जबकि कूड़े व गंदगी के कारण अन्य बिमारियों के फैलने का भी खतरा हमेशा बना रहता है। जहां कूड़़ा फैका जा रहा है वहां से बमुश्किल 30 मीटर की दूरी स्थानीय सभासद का आवास है, नगर पालिका अध्यक्ष, तमाम सभासद, विधायक और प्रशासनिक अधिकारी उसी रास्ते से गुजरते हैं लेकिन न तो उन लोगों ने धरातल पर कोई ठोस पहल की और न ही नगर पालिका और बीएचईएल प्रशासन कार्यवाही कर रहा है। जिससे से बात करो तो जुमले और हवाई बयानबाजी के अलावा जमीनी स्तर पर कोई कार्यवाही नहीं होती।
आपको बता दें कि सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा फैंकना, और जलाना गैर कानूनी और दंडनीय अपराध है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने खुले में कूड़ा जलाने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। आदेश की अवहेलना करने वालों पर 5 हजार से 25 हजार रुपए जुर्माने का भी प्रावधान है। राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स.2016 का सख्ती से पालन करने के भी निर्देश हैं। कानून लागू करते समय राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) प्रमुख न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि ‘‘हम स्पष्ट तौर पर लैंडफिल स्थलों समेत भूमि पर खुले में कचरा जलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध का निर्देश देते हैं।’’ पीठ ने कहा था कि इस तरह की किसी भी घटना के लिए जिम्मेदार व्यक्ति या निकाय को साधारण तौर पर कूड़ा जलाने के लिए 5000 और बड़े पैमाने पर कचरा जलाने के लिए 25000 रूपये का पर्यावरण मुआवजा देना होगा।
यहां सार्वजनिक स्थान पर फैलाये और जलाये जा रहे कूड़े पर प्रतिबंध लगा कर कड़ी कार्यवाही करने के बजाय बीएचईएल और शिवालिकनगर नगर पालिका जिस तरह अपनी जिम्मेदारी से बच रही हैं उनकी कार्यशैली से पर्यावरण तो दूषित हो ही रहा है लोगों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है।

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