बढ़ते प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, चीफ जस्टिस ने कहा जरूरत पड़ने पर लगायें लॉक डाउन
प्रदूषण के प्रति लापरवाह लोगों ने सांस लेने के लिए जरूरी हवा को भी जहरीला बना दिया है। कूड़ा जलाना, पराली जलाना, वाहनों व फैक्ट्रियो का धुआं हवा में ऐसा जहर घोल रहे हैं जिससे लोगों का सांस लेना मुश्किल हो रहा है। सर्दियों में यह स्थिति और खराब हो जाती है। हालात यह हैं कि अब सुप्रीम कोर्ट को भी कहना पड़ा की जरूरत पड़ने पर लॉक डालन लगायें। दिल्ली.एनसीआर में हवा इतनी जहरीली हो गई है, बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते एक्यूआई का स्तर लगातार 500 से ऊपर बना हुआ है, जिसकी वजह से लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही हैण् सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को इसी मुद्दे पर दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से जल्द से जल्द कदम उठाने के लिए कहा हैण् चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा कि ऐसी स्थिति में तो लगता है कि घर में भी मास्क पहनकर ही बैठना होगाण् कोर्ट ने केंद्र सरकार को वायु प्रदूषण से निपटने की तरकीब निकालने को कहा है। चीफ जस्टिस ने कहा कि प्रदूषण में कुछ हिस्सा पराली जलने का हो सकता है, लेकिन बाकी दिल्ली में जो प्रदूषण है वो पटाखों, उद्योगों और धूल-धुएं की वजह से है। हमें तत्काल इसे नियंत्रित करने के कदम बताएं। आज जैसे की प्रदूषण संबंधी एक चायिका पर सुनवाई शुरू हुई तो सीजेआई रमन्ना ने सीधे सरकार से सवाल पूछे। उन्होंने कहा कि आप देख रहे हैं कि स्थिति कितनी खतरनाक है। हमें घरों पर भी मास्क लगाकर बैठना पड़ेगा। आखिर क्या कदम उठाए जा रहे हैं? केंद्र की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वायु प्रदूषण का पहला कारण पराली जलाया जाना है। उन्होंने कहा कि किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए कुछ नियम होने चाहिए, जिससे राज्य सरकारें उन पर कार्रवाई कर सकें। उनकी इस मांग पर चीफ जस्टिस ने सवाल उठाते हुए कहा- आप ऐसे कह रहे हैं कि सारे प्रदूषण के लिए किसान जिम्मेदार हैं? आखिर इसे रोकने का तंत्र कहा है? उन्होंने आगे कहा, हमारा सरकार स कोई लेना-देना नहीं। सवाल है कि इस समस्या से निपटा कैसे जाए। कोई आपात कदम, कुछ छोटी अवधि की योजनाएं, इसे नियंत्रित कैसे किया जाए? चीफ जस्टिस ने कहा प्रदूषण में कुछ हिस्सा पराली जलने का हो सकता है, लेकिन बाकी दिल्ली में जो प्रदूषण है वो पटाखों, उद्योगों और धूल-धुएं की वजह से है। हमें तत्काल इसे नियंत्रित करने के कदम बताएं। अगर जरूरत पड़े तो दो दिन का लॉकडाउन या कुछ और कदम लीजिए। ऐसी स्थिति में आखिर लोग जिएंगे कैसे?