नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने उठायी दिल्ली की पत्रिका को दिये 72 लाख के विज्ञापन पर जांच की मांग, कहा भुगतान भी रोका जाय।

नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने उत्तराखण्ड राज्य से बाहर की पत्रिका को एक मुश्त दिये गये करीब 72 लाख के विज्ञापन पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए पूरे सिस्टम को ही कटघरे में खड़ा करते हुए पत्रिका का भुगतान रोके जाने के साथ मामले की जांच की मांग की है।  
यूनियन की प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य एवं संरक्षक त्रिलोक चन्द्र भट्ट ने राज्यपाल और मुख्यमुख्यमंत्री को भेजे पत्र में आरोप लगाया है कि यह पत्रिका न तो विज्ञापन मान्यता के लिये उत्तराखण्ड में सूचीबद्ध है और न ही डीएवीपी में सूचीबद्ध है।  पत्र में कहा गया है दिल्ली से प्रकाशित जनार्दन कुमार, म0न0 70 आराम पार्क, रामनगर, चंदू पार्क, नियर कबीला रेस्टोरेंट, नई दिल्ली 110051 के स्वामित्व वाली हिंदी मासिक पत्रिका खबर मानक व्यायापक संख्या में प्रचारित और प्रसारित होने वाली कोई प्रतिष्ठित और पुरानी पत्रिका नहीं है। इसका शीर्षक सत्यापन ही दिनांक 9 सितंबर, 2020 को हुआ है। जबकि गत सिंतबर तक भी इस पत्रिका का आरएनआई पंजीकरण नहीं था । जबकि 16 सितंबर, 2021 को आरएनआई द्वारा खबर मानक के प्रेस अनुबंध और इंप्रिंट लाइन इज इंकरेक्ट की आपत्ति भी लगाई है।


श्री भट्ट ने आरोप लगाया कि उत्तराखण्ड से प्रकाशित समाचार पत्र, पत्रिकाओं के हितों की अनदेखी कर जिस तरह कुछ लोगों द्वारा बाहरी राज्य के प्रकाशनों पर सरकारी खजाना लुटाया जा रहा है। यह राज्य के हितों के हितों को व्यापक रूप से नुकसान पहुंचाने वाला है। उन्होंने कहा है कि विगत 6 माह की अवधि में उत्तराखण्ड से प्रकाशित अनेक लघु, मध्यम और मझोले समाचार पत्र-पत्रिकाओं नेें विशेष विज्ञापनों के लिए मुख्यमंत्री एवं महानिदेशक सूचना एवं लोक संपर्क विभाग से विशेष विज्ञापन के निवेदन किये हैं लेकिन उनके हितों की जानबूझ कर अनदेखी की गई। जबकि देश के दूसरे राज्यों के प्रकाशकों को कई विज्ञापन दिये गये। ऐसे अपात्रों को विज्ञापन बांटे गये हैं जो धरातल पर कहीं भी मानक पूरे नहीं करते हैं।
पत्र में कहा गया है कि सूचना एवं लोक संपर्क विभाग के माध्यम से आर0ओ0 संख्या 2021120715925 द्वारा एक मुश्त रूपये 71, 99, 992.80 (इकहत्तर लाख, निन्यानबे हजार, नौ सौ बयानबे रूपये अस्सी पैसे) का विज्ञापन आादेश जारी होने के बाद भुगतान प्राप्त करने करने के लिए संबंधित द्वारा बिल संख्या 01 दिनांक 13 जनवरी, 2022 को सूचना एवं लोक संपर्क विभाग में जमा भी करा दिया गया है। उन्होंने कहा कि पत्रिका के स्तर का इसी बात से पता लग जाता है कि सिर्फ बिल संख्या 01 (पहला ही बिल) विज्ञापन में लिए लगाया गया है। उन्होंने   विज्ञापन दिलाने से लेकर आर.ओ. जारी करने और भुगतान कराने से जुड़े बाहरी और भीतरी लोगों की भूमिका की भी व्यापक जांच के साथ भुगतान पर तत्काल रोक लगाये जाने की मांग की है।

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