सांस्कृतिक विरासत की थाती का संवर्द्धन कर रहा तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय

शिक्षा, सेवा, संस्कार, समर्पण संग सांस्कृतिक थाती का संवर्द्धन ही तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय का आधार है। सांस्कृतिक विरासत को संजोने की इस परंपरा में हजारों विद्यार्थियों ने भारतीय संस्कृति संग सांस्कृतिक स्वरूप को समीप से सुना। देखा और जाना। आजादी के अमृत महोत्सव संग तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय ने अपने 21 वें स्थापना दिवस को भारतीय संस्कृति और पुरातन संगीत की शास्त्रीय परंपरा के समन्वय संग मनाया। विश्वविद्यालय के सूत्रधार और कुलाधिपति सुरेश जैन परिवार की तीसरी पीढ़ी के संवाहक और विश्वविद्यालय के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर युवा अक्षत जैन की नई सोच और सृजन का स्वरूप तीन दिवसीय सांस्कृतिक समारोह समागम में प्रत्यक्ष नजर आया। विश्वविद्यालय में मेडिकल समेत संचालित अन्य पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत हजारों-हजार विद्यार्थियों ने संगीत संग संस्कृति के समारोह को अविस्मरणीय और अतुलनीय करार दिया। शास्त्रीय संगीत पर आधारित देश-दुनिया के नामचीन कलाकारों से सुसज्जित इस समागम में संगीत गायन, वादन व नृत्य की सात्विक आहूतियों ने एक दिव्य अनुष्ठान का स्वरूप प्रदान किया। कलाकारों की साधना का सुर प्रस्फुटित होने पर हर मन आनंदित नजर आया। तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय का प्रेक्षागृह 13 जुलाई से 15 जुलाई 2022 को पूरी तरह संस्कृति के रंग संग सुरों के सतरंगी सफर में सराबोर नजर आया।

मोहन वीणा के तारों से निकली झंकार। तबले पर संगत करते फनकार। दिल से निकले सुरों का आभार। नृत्य में मंचित मानस के किरदार। इन सबके समन्वय से तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय में तीन दिन तक संस्कृति का लघु रूप मंच पर नजर आया।

परंपरा-2022 में ग्रैमी अवार्ड विजेता व मोहन वीणा के जनक पंडित विश्व मोहन भट्ट के साथ ही उस्ताद अनवर खां ने राजस्थान के लोक गायन की प्रस्तुति दी। निजामी बंधु ने अपनी विशेष शैली में कव्वाली व फिल्मो में गाए गीतों से प्रतिभा का परिचय दिया। अंतिम दिन मशहूर भरतनाट्यम व ओडिसी नृत्यांगना एवं डॉ सोनल मानसिंह ने प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में हजारों विद्यार्थियों के साथ ही तीनो दिन मुरादाबाद के सैकड़ों कला प्रेमियों ने शिरकत की। संस्कृति एवं विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने कला संस्कृति के इस प्रयास के प्रति तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय की सराहना की। पंडित विश्व मोहन भट्ट ने अगले जन्म में तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय का विद्यार्थी बनने की इच्छा मंच से जाहिर की। कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र सिंह ने विश्वविद्यालय द्वारा सांस्कृतिक विरासत को संजोने के इस प्रयास की मुक्त कंठ से सराहना की। उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग के पूर्व सदस्य व कानूनविद् डॉ हरवंश दीक्षित ने युवाओं की प्रगति में संस्कृति की जानकारी प्रदान करने के इस प्रयास को बेहद महत्वपूर्ण करार दिया। एमएलसी डॉ जयपाल सिंह व्यस्त ने साहित्य, संगीत और कला के शहर मुरादाबाद में विश्वविद्यालय द्वारा संगीत के पुरोधाओं को आमंत्रित करने पर विश्वविद्यालय के प्रति आभार जताया। जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ शैफाली सिंह ने विश्वविद्यालय की दूरदर्शी सोच और शिक्षा संग संस्कारों के प्रति समर्पण को अद्वितीय बताया। शहर विद्यायक रितेश गुप्ता ने मुरादाबाद के शैक्षिक और साहित्यिक संग सांस्कृतिक क्षेत्र में उन्नयन की दिशा में विश्वविद्यालय के सतत प्रयासों की सराहना की। महापौर विनोद अग्रवाल ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से पुरातन संस्कृति से युवाओं को रू-ब-रू कराने के इस प्रयास की प्रशंसा की।

तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सुरेश जैन कहते हैं कि शिक्षा संग संस्कार और भारतीय संस्कृति के समन्वय संग आजादी के अमृत महोत्सव को मनाना हमारा सौभाग्य है। विश्वविद्यालय निरंतर भविष्य में भी इस तरह के प्रयास जारी रखेगा। देश के प्रति अनुराग रक्त में बहता है। परिवार के बुजुर्ग कीर्तिशेष अपने दादा की स्वाधीनता संग्राम में निभाई भूमिका के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।

जीवीसी मनीष जैन कहते हैं कि सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन और सम्यक चरित्र की आधारशिला पर शिक्षा की लौ जलाने वाला तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय निरंतर इसी तरह सामाजिक और सांस्कृतिक उन्नयन की दिशा में कार्य कर रहा है। कल को एक सफल आकार देने में संस्कारों की बुनियाद पर हजारों-हजार युवाओं को इसी तरह तैयार करता रहेगा।

तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर व तीन दिवसीय सांस्कृतिक समागम परंपरा के सूत्रधार युवा अक्षत जैन कहते हैं कि हमारी संस्कृति ही हमें पूरी दुनिया में अलग पहचान देती है। भारतीय कला हो या फिर दर्शन, इन्हीं के जरिए आज हमारे देश की पहचान समूची दुनिया में है। बाहरी देश हमारी कला और संस्कृति को अपना रहे हैं। ऐसे में अपनी परंपरा को अपने देश और युवाओं के बीच में लाकर हम केवल अपने दायित्व का निर्वाह कर रहे हैं। ब्रीदिंग आर्ट्स से संपर्क हुआ। संस्था के संस्थापक अनुराग चौहान और चारू सनन इस महोत्सव में सहगामी बने। यहीं से इस सांस्कृतिक महोत्सव की रूपरेखा ने आकार लिया। जिसे हजारों युवाओं ने शिरोधार्य कर सफलता के उत्कर्ष तक पहुंचाया।

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