टीएमयू एग्रीकल्चर कॉलेज की ऊंची छलांग

इंटर्नशिप को दो स्टुडेंट्स पहुंचे डेनमार्क, बतौर मानदेय मिलेंगे 54 लाख, इंटरनेशनल कृषि एक्सपर्ट्स बनेंगे

  • ख़ास बातें
  • टीएमयू के लिए गौरव के पलः प्रो. एमपी सिंह
  • स्टुडेंट विजय का पोल्ट्री फार्म में हुआ चयन
  • वैभव को मिली डेयरी फार्म की जिम्मेदारी
  • इंडिया लौटकर शुरू करेंगे अपना स्टार्टअप

प्रो. श्याम सुंदर भाटिया
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर के दो छात्रों- विजय विश्वास और वैभव सिंह ने ऊंची छलांग लगाई है। बीएससी अंतिम वर्ष के दोनों छात्रों का बतौर इंटर्न्स डेनमार्क के लिए सलेक्शन हुआ है। डेढ़ बरस की इंटर्नशिप के दौरान इन्हें हर माह 1.5 लाख रूपए भी मिलेंगे। इंटर्नशिप के दौरान इन छात्रों को मानदेय के रूप में कुल 54 लाख मिलेंगे। निदेशक छात्र कल्याण प्रो. एमपी सिंह ने कहा, यूनिवर्सिटी को दोनों छात्रों पर नाज़ है। यह बात दीगर है, एग्रीकल्चर कॉलेज के प्लेसमेंट का ट्रैक रिकॉर्ड 90 प्रतिशत है। बाकी स्टुडेंट्स स्टार्ट अप शुरू कर देते हैं या उच्च शिक्षा में चले जाते हैं। इसका पूरा श्रेय कॉलेज की उच्च शिक्षित और अनुभवी फैकल्टीज़ को जाता है। उल्लेखनीय है, कॉलेज के सभी टीचर्स नेट और पीएचडी हैं। कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन, एमजीबी श्री अक्षत जैन ने इस बड़ी उपलब्धि के लिए प्रो. एमपी सिंह को बधाई देते हुए बोले, इन छात्रों का डेनमार्क में इंटर्नशिप के लिए चयनित होना यह सिद्ध करता है, एग्रीकल्चर कॉलेज की स्टडी आईसीएआर के मानकों पर हो रही है। कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह कहते हैं, तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी का यह कॉलेज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- आईसीएआर से भी एकक्रेडिटेड है। यह एग्रीकल्चर कॉलेज अब इंडिया में कृषि के 10 प्राइवेट कॉलेजों/ यूनिवर्सिटीज़ में शुमार होता है।

निदेशक छात्र कल्याण श्री सिंह कहते हैं, यह इंटर्नशिप दोनों छात्रों के स्किल्स को बढ़ाने और कृषि क्षेत्र में विकसित हो रही नई अंतरराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी को समझने में मदद करेगी। डेनमार्क को कृषि उत्पादन के लिए यूरोप में सबसे नवीन देश के रूप में मान्यता प्राप्त है। छात्र विजय विश्वास को पोल्ट्री फार्म जबकि वैभव सिंह को डेयरी फार्म में ट्रेंड किया जाएगा। इन छात्रों को मेजबान किसानों की ओर से आवास और भोजन की सुविधा के संग-संग प्रति माह 1.5 लाख रुपये भी दिए जाएंगे। इंटर्नशिप की अवधि 18 महीने की है। दोनों छात्र डेनमार्क से लौटने के बाद कृषि क्षेत्र में अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं। उन्होंने इस तरह के इंटर्नशिप कार्यक्रमों के लिए टीएमयू से अधिक कृषि छात्रों को विदेश भेजने का दृढ़ संकल्प व्यक्त किया है। अंत में रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा कहते हैं, कोविड-19 के दौरान एग्रीकल्चर सेक्टर ने सिद्ध कर दिया है, यह लाभकारी सेक्टर है। केन्द्र सरकार भी कृषि की आय बढ़ाने को संकल्पित है। ऐसे में बीएससी-एग्रीकल्चर श्रेष्ठ कोर्सेज में से एक है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!