Wednesday, October 9, 2024
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UttaraKhand : हरिद्वार पहुंचा पायलट बाबा का पार्थिव शरीर, गुरुवार को दी जाएगी समाधि

Haridwar News सुप्रसिद्ध संत और जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर पायलट बाबा के निधन के बाद उनका पार्थिव शरीर हरिद्वार स्थित उनके आश्रम में लाया गया है, जहां उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा हुआ है। उनके अंतिम दर्शन के लिए उनके अनुयायियों और साधु-संतों के साथ ही स्थानीय लोगों की भारी भीड़ है। विभिन्न अखाड़ों के पदाधिकारी, साधु-संत और स्थानीय लोग लगातार उनके अंतिम दर्शनों के लिए पायलट बाबा के आश्रम में पहुंच रहे हैं। गुरुवार 22 अगस्त को बाबा को उन्हीं के आश्रम में समाधि दी जाएगी।
बताते चलें कि काफी दिन से अस्वस्थ चले रहे Pilot Baba का 20 अगस्त को मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में देहावसान हो गया था। जिसके बाद उनका पार्थिव शरीर हरिद्वार स्थित उनके आश्रम में लाया गया है।
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर पायलट बाबा देश के बड़े संतों में शामिल थे। संन्यास लेने से पहले वे भारतीय वायु सेना में विंग कमांडर भी रहे। उन्होंने वर्ष 1962, 1965, 1971 के पाकिस्तान और चीन युद्ध के दौरान बतौर विंग कमांडर, फाइटर पायलट की भूमिका निभाई थी। उनका वास्तविक नाम कपिल सिंह था. जो मूल रूप से बिहार के रोहतास के रहने वाले थे. साल 1998 में बाबा महामंडलेश्वर पद पर आसीन हुए. उन्हें साल 2010 में उज्जैन में प्राचीन जूना अखाड़ा शिवगिरी आश्रम नीलकंठ मंदिर में जूना अखाड़े का पीठाधीश्वर बनाया गया. वहीं, पायलट बाबा को लेकर कई विवाद भी हुए।
पाकिस्तान के साथ साल 1965 और 1971 युद्ध में सफल अभियान को अंजाम दिया. जिसके बाद उन्होंने संन्यास लिया, फिर वो पायलट बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए. जबकि, उनका वास्तविक नाम कपिल सिंह था। जो मूल रूप से बिहार के रोहतास के रहने वाले थे. साल 1998 में बाबा महामंडलेश्वर पद पर आसीन हुए. उन्हें साल 2010 में उज्जैन में प्राचीन जूना अखाड़ा शिवगिरी आश्रम नीलकंठ मंदिर में जूना अखाड़े का पीठाधीश्वर बनाया गया. वहीं, पायलट बाबा को लेकर कई विवाद भी हुए।
जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष हरि गिरि महाराज ने कहा कि महायोगी पायलट बाबा को खोना अखाड़े ही नहीं बल्कि, पूरे विश्व के लिए बड़ी क्षति है. उनके अनुयायी देश ही नहीं, बल्कि विदेशों तक थे. जिस तरह से उन्होंने सनातन का परचम पूरे देश-विदेश में लहराया था, साथ ही लोगों को अध्यात्म की राह पर ले जाने का काम किया।

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