“मां और बच्चे की भलाई के लिए गर्भधारण का स्वस्थ समय और अंतराल” पर वर्चुअली बैठक
नई दिल्ली। विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज यहां केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल की उपस्थिति में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ वर्चुअली बैठक का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का विषय था: “मां और बच्चे की भलाई के लिए गर्भधारण का स्वस्थ समय और अंतराल”।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत में विश्व जनसंख्या का 1/5 हिस्सा रहता है। उन्होंने जनसंख्या को स्थिर रखने की दिशा में काम करने की पुनः पुष्टि और पुनः प्रतिबद्धता के रूप में विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विकसित भारत का लक्ष्य तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब भारत के परिवारों का स्वास्थ्य अच्छा रहे, जिसे केवल छोटे परिवारों द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि केंद्र और राज्यों को मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि महिलाएं परिवार नियोजन के विकल्प चुनने के अपने अधिकार का प्रयोग कर सकें, उन पर अनचाहे गर्भधारण का बोझ न पड़े और यह भी सुनिश्चित किया जा सके कि विशेष रूप से अधिक जरूरत वाले राज्यों, जिलों और ब्लॉकों में गर्भनिरोधकों की कमी को पूरा किया जा सके। उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन कार्यक्रम का उद्देश्य अपनी पसंद और सूचित विकल्प के साथ जन्म होना चाहिए। युवाओं, किशोरों, महिलाओं और बुजुर्गों सहित सभी के लिए एक उज्ज्वल, स्वस्थ भविष्य को सुरक्षित करने के बारे में सरकार के निर्णय पर प्रकाश डालते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सहयोग महत्वपूर्ण है क्योंकि हम भावी जिम्मेदारियों को पूरा करते हैं और परिवार नियोजन एवं प्रजनन स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार मानते हैं।” उन्होंने कहा कि सही टाइमिंग और दो बच्चों के जन्म के बीच अंतराल को बढ़ावा देना, परिवार के इष्टतम आकार को प्राप्त करना और गर्भनिरोधक विकल्पों को स्वैच्छिक रूप से अपनाना स्वस्थ और खुशहाल परिवारों के पोषण के लिए महत्वपूर्ण है। इससे हमारे देश के उज्ज्वल भविष्य में योगदान मिलेगा।
राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम की सफल योजनाओं में से एक “मिशन परिवार विकास” (एमपीवी) के बारे में प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि यह योजना शुरुआत में सात उच्च-केन्द्रित राज्यों के 146 उच्च प्राथमिकता वाले जिलों (एचपीडी) में शुरू की गई थी। बाद में इन राज्यों के सभी जिलों और छह पूर्वोत्तर राज्यों में इसका विस्तार किया गया। श्री नड्डा ने इस योजना के उल्लेखनीय प्रभाव पर जोर देते हुए इन राज्यों में गर्भनिरोधकों तक पहुंच में उल्लेखनीय वृद्धि और मातृ, शिशु तथा पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में कमी होने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जिलों को इस योजना का प्राथमिक केंद्र बनाने से पूरे राज्य में टीएफआर को नीचे लाने में मदद मिली। मिशन परिवार विकास ने न केवल राज्यों के टीएफआर को कम करने में योगदान दिया है, बल्कि राष्ट्रीय टीएफआर में भी मदद की है। उन्होंने कहा कि हमें उन राज्यों में टीएफआर को कम बनाए रखने की दिशा में काम करने की जरूरत है, जिन्होंने इसे पहले ही हासिल कर लिया है। अन्य राज्यों को भी यह लक्ष्य हासिल करने की दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने इन प्रयासों में लापरवाही बरतने के विरुद्ध राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को आगाह किया और सभी को देश के समस्त भागों में टीएफआर को प्रतिस्थापन स्तर पर लाने की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि हमें राज्यों से प्राप्त सुझावों और एनएफएचएस आंकड़ों के आधार पर एक रणनीति बनानी चाहिए, ताकि उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके जहां टीएफआर में कोई सुधार नहीं हुआ है।
श्री नड्डा ने परिवार नियोजन और सेवा वितरण के संदेशों को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में स्वास्थ्य सेवा और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं तथा विभिन्न विभागों द्वारा किए गए अथक कार्य एवं समर्पण की भी सराहना की।
श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने कहा कि भारत की 65 प्रतिशत से अधिक आबादी प्रजनन आयु वर्ग में आती है और यह सुनिश्चित करना समुचित ही है कि उन्हें उचित विकल्प उपलब्ध कराए जाएं जिससे उन पर अनियोजित परिवार वृद्धि का बोझ न पड़े। केंद्र सरकार द्वारा किए गए परिवार नियोजन कार्यक्रम के विस्तार के बारे में उन्होंने कहा कि पहले यह दो चरणों वाला कार्यक्रम हुआ करता था, अब इसका तीन चरणों- प्रारंभिक चरण, सामुदायिक भागीदारी और सेवा वितरण में विस्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि सात दशकों के परिवार नियोजन कार्यक्रम की गतिविधियों ने यह दर्शाया हैं कि अब 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से 31 राज्य टीएफआर के प्रतिस्थापन स्तर पर पहुंच गए हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मेघालय और मणिपुर को टीएफआर कम करने के लिए ठोस गतिविधियां शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया।
श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने यह भी बताया कि एमपीवी योजना को प्रारंभ में 146 जिलों में शुरू किया गया था, जिसका अब 340 से अधिक जिलों में विस्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि यह बहुत उत्साहजनक है कि देश में आधुनिक गर्भनिरोधकों की स्वीकार्यता बढ़कर 56 प्रतिशत से अधिक हो गई है। राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री ने कहा कि आधुनिक गर्भनिरोधकों का उपयोग 47.8 प्रतिशत (एनएफएचएस 4) से बढ़कर 56.5 प्रतिशत (एनएफएचएस-5) हो गया है। उन्होंने कहा कहा कि एनएफएचएस 5 डेटा अंतराल विधियों को अपनाने की ओर एक समग्र सकारात्मक बदलाव दर्शाता है जो मातृ एवं शिशु मृत्यु दर और रुग्णता को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने में सहायक होगा। परिवार नियोजन की अधूरी रह जाने वाली जरूरतें 12.9 (एनएफएचएस IV) से घटकर 9.4 हो गई है जो एक उत्साहजनक उपलब्धि है।
इस अवसर पर एक नवाचार परिवार नियोजन प्रदर्शन मॉडल “सुगम” और हिंदी, अंग्रेजी तथा क्षेत्रीय भाषाओं में परिवार नियोजन पोस्टर का अनावरण किया गया, जिसमें विश्व जनसंख्या दिवस 2024 के लिए वर्तमान वर्ष के विषय को शामिल किया गया है। “सुगम” परिवार नियोजन के लिए एक विशिष्ट और नवाचार बहुउद्देशीय प्रदर्शन मॉडल है, जिसे परिवार नियोजन सेवा प्रदाताओं, आरएमएनसीएचए (प्रजनन, मातृ, नवजात, बाल, किशोर स्वास्थ्य और पोषण) परामर्शदाताओं, जमीनी स्तर के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और लाभार्थियों के उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसे स्वास्थ्य सुविधाओं में विभिन्न स्थानों पर रणनीतिक रूप से भी प्रदर्शित किया जा सकता है। “सुगम” का उद्देश्य सौहार्दपूर्ण वातावरण को बढ़ावा देना और परिवार नियोजन के बारे में आवश्यक जागरूकता पैदा करना है। इसमें परिवार नियोजन में पुरुषों और महिलाओं की समान भागीदारी के बारे में आवश्यक चर्चा पैदा करना, नियोजित पितृत्व को प्रोत्साहित करना, स्वस्थ टाइमिंग और दो जन्मों के बीच अंतराल पर जोर देने के साथ-साथ उपलब्ध गर्भनिरोधक विकल्पों की श्रृंखला को प्रदर्शित करना शामिल है। परिवार नियोजन के बारे में जागरूकता पैदा करने और परिवार नियोजन वस्तुओं के उपयोग को बढ़ाने के उद्देश्य से हाल ही में विकसित रेडियो स्पॉट और जिंगल्स भी लॉन्च किए गए हैं।
इस कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से भाग लेते हुए संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य एवं मिशन निदेशकों के प्रधान सचिवों ने परिवार नियोजन सेवाएं अंतिम छोर तक उपलब्ध कराने के बारे में अपने अनुभव और सीख साझा कीं, जिसमें उनके सामने आने वाली समस्याएं और चुनौतियां भी शामिल रहीं। झारखंड और उत्तर प्रदेश ने “सास बहू सम्मेलन” के अपने संस्करणों पर प्रकाश डाला, जिसमें वे समुदाय में जागरूकता पैदा करने के लिए परिवार के पुरुष सदस्यों को भी शामिल करते हैं। तेलंगाना ने “अंतरा दिवस” की अपनी विशिष्ट प्रथा के बारे में जानकारी दी, जहां वे पुरूषों और महिलाओं को गर्भनिरोधक इंजेक्शन देते हैं। राज्यों ने अपनी परिवार नियोजन पहलों में सहायता प्रदान करने के लिए भारत सरकार की सराहना भी की।
इस कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री अपूर्व चंद्रा, एएस एवं एमडी (एनएचएम) स्वास्थ्य मंत्रालय श्रीमती आराधना पटनायक, संयुक्त सचिव (आरसीएच) श्रीमती मीरा श्रीवास्तव, सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, विकास भागीदार, नागरिक समाज, राज्यों के प्रतिनिधि और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए।