Friday, December 5, 2025
Uttarakhand

पहाड़ की मिट्टी से गढ़ी नई कहानी, मेहनत ने बदली तकदीर। पंचक्की से लेकर जैविक खेती, मछली पालन, अचार–मुरब्बा और मशरूम उत्पादन…। »

देवीधुरा के इस दंपति ने साबित किया—हुनर और श्रम से पहाड़ में भी संभव है समृद्धि।

बाराहीधाम के समिप बैरख मेतणा गांव के हयात सिंह मेहरा और उनकी धर्मपत्नी विमला देवी पहाड़ में परिश्रम और नवाचार की जीवंत मिसाल हैं। यदि कोई किसान या युवा यह जानना चाहता है कि खेती और अपने हुनर के बल पर जीवन की दिशा कैसे बदली जा सकती है, तो हयात सिंह दंपति का कार्यक्षेत्र उससे बेहतर उदाहरण नहीं हो सकता। यह दंपति पारंपरिक पंचक्की चलाने के साथ ही मछली पालन, जैविक सब्जी उत्पादन, शिमला मिर्च, बैंगन, लौकी, तुरई, करेला सहित पहाड़ी दालों की खेती में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। मिर्च–नमक, मशरूम, शहद उत्पादन और विभिन्न जैविक उत्पादों के निर्माण के जरिए उन्होंने पहाड़ में आत्मनिर्भरता की नई राह दिखाई है।

हयात सिंह मेहरा द्वारा देवीधुरा–हल्द्वानी मार्ग पर ‘मेरा गृह उद्योग’ नाम से स्व–संचालित दुकान खोली गई है, जहां स्थानीय लोग उनके क्लस्टर में बने जैविक उत्पादों—अचार, दालें, मसाले और अन्य वस्तुएं खरीद रहे हैं। मछली का अचार समेत अन्य यह विभिन्न प्रकार के अचार बनाते हैं ‘जायकेदार’ उत्पाद उनकी पहचानों में शामिल हैं। भाग की खेती को नुकसान पहुंचने के कारण नमक उत्पादन प्रभावित हो गया है, लेकिन इसके बावजूद उनका उत्साह और नवाचार थमा नहीं है। गत वर्ष उन्होंने मशरूम उत्पादन की शुरुआत की, जिसमें उन्हें असाधारण सफलता मिली। उनकी खासियत यह है कि वे हर कार्य को जैविक, स्वच्छ और पारंपरिक पद्धति से करते हैं। उनके यहां मिलने वाले अचारों में किसी प्रकार का रसायन उपयोग नहीं किया जाता। जिलाधिकारी मनीष कुमार ने हयात सिंह दंपति के पुरुषार्थ की खुलकर सराहना की है और अन्य ग्रामीणों से भी उनसे सीख लेने की अपील की है।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!