स्यानाचट्टी में आपदा का साया : यमुना नदी में बनी झील, मौके पहुंची NDRF
स्यानाचट्टी में प्रकृति का कहर, यमुना नदी का बहाव थमा, खतरे के साये में लोग
ठाकुर सुरेंद्र पाल सिंह
उत्तरकाशी। उत्तरकाशी की धराली आपदा के ज़ख्म अभी भरे भी नहीं थे कि अब यमुना वैली के स्यानाचट्टी में प्रकृति का कहर लोगों पर संकट बनकर टूट पड़ा है। भारी बारिश के बाद गढ़गाड़ गदेरे से आए मलबे और पानी ने यमुना नदी का प्रवाह रोक दिया, जिससे अचानक क्षेत्र में एक खतरनाक अस्थायी झील का निर्माण हो गया है। नदी का बहाव रुकने से न केवल स्यानाचट्टी की स्थानीय आबादी बल्कि पूरे क्षेत्र की सुरक्षा पर संकट मंडरा गया है। इससे लोगों में अफरातफरी मच गई है.
प्रशासन ने हालात की गंभीरता को देखते हुए तत्काल कार्रवाई करते हुए स्यानाचट्टी बाजार व आसपास स्थित घरों और होटलों को खाली करवा दिया। प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
झील का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और इससे संभावित खतरे को टालने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीम वोट सहित मौके पर तैनात हो चुकी है। साथ ही राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), पुलिस और जिला प्रशासन की टीमें लगातार हालात की निगरानी कर रही हैं। राहत एवं बचाव कार्य के लिए सभी आवश्यक संसाधन घटनास्थल पर जुटा दिए गए हैं।
जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने बताया कि टीम द्वारा झील को नियंत्रित और सुरक्षित तरीके से खाली करने का प्रयास आज देर शाम या अधिकतम कल प्रातः किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है।
झील की सूचना मिलते ही जिलाधिकारी प्रशांत आर्य सीधे जिला आपदा स्मार्ट कंट्रोल रूम पहुंचे और मौके की स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने अधिकारियों को तत्काल राहत व बचाव कार्य के निर्देश दिए। इस दौरान अपर जिलाधिकारी मुक्ता मिश्र, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी शार्दूल गुसाई सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
स्थानीय लोगों में दहशत
अचानक बनी झील को लेकर स्यानाचट्टी व आसपास के ग्रामीणों में भय और असमंजस की स्थिति है। लोगों का कहना है कि यह झील यदि फटती है तो इससे नीचे के क्षेत्रों में भारी तबाही मच सकती है। प्रशासन की तत्परता और राहत दलों की मौजूदगी से लोगों को कुछ हद तक भरोसा मिला है, लेकिन खतरे का साया अभी भी बना हुआ है।
प्रशासन की कड़ी निगरानी
जिला प्रशासन ने झील और यमुना नदी के प्रवाह पर चौबीसों घंटे निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं। वहीं आपदा प्रबंधन विभाग ने आसपास के गांवों को भी सतर्क रहने की अपील की है।