Wednesday, October 22, 2025
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प्रतिबंधित काजल-काठ की लकड़ी की तस्करी का भंडाफोड़

प्रतिबन्धित काजल-काठ की लकड़ी की तस्करी करते हुए पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। जिनके पास से 597 नग लकड़ी व तस्करी में प्रयुक्त वाहन बरामद किया गया है। जानकारी के अनुसार बुधवार की सुबह कोतवाली उत्तरकाशी क्षेत्रांर्तगत डूंडा पुलिस को सूचना मिली कि क्षेत्र में कुछ वन तस्कर प्रतिबन्धित लकड़ियों की तस्करी हेतू आने वाले है। सूचना पर कार्यवाही करते हुए पुलिस ने क्षेत्र में तलाशी अभियान चला दिया। इस दौरान पुलिस को करीब 6.30 बजे डुण्डा बैरियर पर एक संदिग्ध यूटिलिटी व उसमें सवार दो लोग आते हुए दिखाई दिये।

पुलिस ने जब उसे रोक कर उनकी तलाशी ली तो उसमें रखी 597 नग काजल काठ की लकड़ी बरामद हुई। पुछताछ में उन्होने अपना नाम गोपाल बोहरा पुत्र चन्द्र सिंह बोहरा निवासी ग्राम डोली, चोर थाना कंचनपुर, जिला कंचनपुर, महाकाली नेपाल, हॉल मोजांग, त्यूणी व विजय पुत्र प्रेमलाल निवासी नाल्ड, गंगोरी भटवाडी, उत्तरकाशी(वाहन चालक) बताया। बताया कि गोपाल गंगोरी, अगोडा क्षेत्र के जंगलो से इस प्रतिबन्धित लकड़ी को इकट्ठा कर देहरादून सहारनपुर ले जाने के फिराक में था, जिसे पुलिस द्वारा बैरियर पर पकड लिया गया। पुलिस द्वारा मामले में अग्रिम कार्रवाई हेतु आरोपियों को प्रतिबन्धित लकड़ी के साथ वन विभाग के सुपुर्द किया गया है। कांजल की लकड़ी उच्च हिमालय के आरक्षित वन क्षेत्र में पाई जाती है। कांजल औषधीय दृष्टिकोण से सर्वाेत्तम मानी जाती है। इसे बौध सम्प्रदाय के लोग इसके बर्तन (बाउल) बनाकर खाघ एवं पेय पदार्थों के लिए इस्तेमाल करते हैं। भारत, चीन, तिब्बत, नेपाल आदि देशों में इस लकड़ी की तस्करी कर उच्च कीमतों पर बेचा जाता है।

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