जम्मू कश्मीर : आतंकवादी यासीन मलिक को को उम्रकैद
जम्मू कश्मीर को भारत से अलग करवाने के लिए वर्षों से जम्मू-कश्मीर को आतंकी आग में झौंकने वाले आतंकवादी यासीन मलिक को टेरर फंडिंग केस में उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई है। अदालत ने उस पर 10 लाख 70 हज़ार का जुर्माना भी लगाया है। एनआईए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने 19 मई को मलिक को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोपों में दोषी ठहराया था। अब अदालत द्वारा उसकी सजा का एलान किया गया है। हालांकि एनआईए की ओर से आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में दोषी कश्मीरी आतंकवादी को मृत्युदंड दिए जाने की मांग अदालत में की गयी थी। मलिक को सेक्शन 121 में उम्रकैद की सज़ा हुई है। साथ ही यूएपीए के सेक्शन 17 में भी उम्रकैद की सजा सुनाई गयी है। अदालत ने कहा है कि दोनों ही सजा साथ-साथ चलेगी।
इससे पहले मलिक की तरफ से अदालत में कहा गया था कि 1994 में हथियार छोड़ने के बाद मैंने महात्मा गांधी के सिद्धांतों का पालन किया है और तब से मैं कश्मीर में अहिंसक राजनीति कर रहा हूं। कोर्ट रूम में यासीन ने कहा कि 28 सालो में अगर मैं कही आतंकी गतिविधि या हिंसा में शामिल रहा हूं इंडियन इंटेलिजेंस अगर ऐसा बता दे तो मैं राजनीति से भी सन्यास ले लूंगा, फांसी मंजूर कर लूंगा। 7 पीएम के साथ मैंने काम किया है। लेकिन एनआई के ठोस सबूतों के आगे उसकी झूठी दलीने नहीं टिक सकी।
पूर्व में मामेल की सुनवाई पूरी होने के साथ पटियाला हाउस स्थित विशेष न्यायाधीश ने एनआईए अधिकारियों को उसकी वित्तीय स्थिति का आकलन करने का निर्देश दिया था, जिससे जुर्माने की राशि निर्धारित की जा सके। इससे पहले 10 मई को मलिक ने अदालत में कहा था कि वह खुद के खिलाफ लगाए आरोपों का सामना नहीं करना चाहता है। उसने अपना जुर्म कबूल लिया था। मलिक इस वक्त दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद है।