मोहीउद्दीन ने आग की लपटों के बीच दिखाई अपनी हिम्मत और सेवा का जज्बा
उत्तराखण्ड के बागेश्वर स्थित दुगबाजार क्षेत्र में एक नेपाली परिवार के लिए भयावह क्षण तब आया जब उनके कमरे में अचानक आग लग गई। जिला हस्पताल के समीप कांडा रोड के उस मकान में आग लगने से चारों ओर अफरा-तफरी मची हुई थी। लोग सहमे हुए थे। मगर उसी समय एक शख्स था जो आग की लपटों से डरने के बजाय इंसानियत की मिशाल बन कर सबसे आगे खड़ा था नाम था मोहीउद्दीन अहमद तिवारी! मोहीउद्दीन वह नाम है, जो संकटकाल में हमेशा उम्मीद की किरण बन कर सामने आता है।
नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (एनयूजे उत्तराखण्ड) तथा रेडक्रॉस समिति बागेश्वर से जुड़े वरिष्ठ सदस्य मोहीउद्दीन बिना एक पल गंवाए अपने संस्थान से दो अग्निशमन यंत्र (फायर एक्सटिंग्विशर) लाकर आग बुझाने में जुट गए। उन्होंने न केवल आग को फैलने से रोका बल्कि फायर टीम को भी सूचित किया। वे आसपास के लोगों को संगठित कर खुद आग बुझाने में जुटे रहे। उनकी तत्परता और साहस से उस परिवार की जान ही नहीं बची बल्कि आसपास की कई दुकानें भी बड़े नुकसान से बच गईं।
मानवता के लिए उनका यह नेक कार्य पहली बार नहीं था। कोविड काल में जब पूरा देश ठहर सा गया था, तब तिवारी जी ने लगातार जरूरतमंदों तक राशन, दवाइयां और ऑक्सीजन पहुंचाई। इन्हीं सेवाभावी कार्यों के लिए उत्तराखंड के राज्यपाल ले. जनरल (से.नि.) गुरमीत सिंह द्वारा उन्हें राज्य स्तर पर सम्मानित भी किया गया।
आज भी वे निरंतर समाज के उपेक्षित, जरूरतमंद और बेसहारा लोगों के लिए काम कर रहे हैं। बिना किसी प्रचार के, बिना किसी अपेक्षा के बस एक लक्ष्य, मानवता की सेवा।
सच में, मोहीउद्दीन तिवारी जैसे लोग नायक नहीं होते, वे इंसानियत का ज़िंदा चेहरा होते हैं।