उत्तराखण्ड: चंद दिनों के ही विज्ञापनों पर फूंके 80 करोड़
उत्तराखण्ड के भी हाल गजब हैं। आय के स्रोत सीमित हैं। केन्द्रीय सहायता और कर्ज में राज्य के कामकाज चल रहे हैं। सरकारी खर्चों में कटौती और मितव्ययता की बातें की जाती रही हैं। लेकिन विधानसभा चुनाव निकट आते ही सरकार ने सरकारी खजाने का मुंह खोल दिया। मौजूदा मुख्यमंत्री के चंद दिनों के कार्यकाल की इस बहती में कई लोगों के वारे-न्यारे हो गये। नीति नियंताओं और अधिकारियों ने भी वही फाइलें आगे सरकायी जिनसे उनके हित जुड़े थे। आचार संहिता लागू होने से पहले विज्ञापनों और होर्डिंग्स पर पैसा पानी की तरह बहाया गया। केवल अखबारी विज्ञापनों और होर्डिंग्स पर करीब 80 करोड़ रूपये लुटा दिये गये। प्रेमनगर, देहरादून निवासी जे एस रिसम द्वारा एक आरटीआई के माध्यम से मांगी गयी जानकारी से खुलासा हुआ है कि मुख्यमंत्री द्वारा प्रिंट मीडिया को दिए गए विज्ञापनों पर 60 करोड़ 98 लाख 56 हजार 499 रुपए खर्च किए गये हैं। जबकि केवल हर्डिंग्स के विज्ञापन देने पर ही 18 करोड़ 58 लाख खर्च किए हैं। करीब 80 करोड़ की यह राशि केवल प्रिंट मीडिया के विज्ञापन व होर्डिंग्स पर ही खर्च की गई है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को दिए करोड़ों के विज्ञापनों के खर्च का अभी पता नहीं है। लेकिन यह निश्चित है कि निकट भविष्य में इस मद में भी चौंकाने वाले आंकड़े सामने आयेंगे।