Saturday, December 13, 2025
Health

अब मनुष्य की उम्र लंबी और बुढ़ापा होगा स्वस्थ, भारतीय वैज्ञानिकों ने विकसित किया अगली पीढ़ी का प्रोबायोटिक

  • अगली पीढ़ी के प्रोबायोटिक जीवाणु लैक्टोबैसिलस प्लांटेरम जेबीसी5 की पहचान की गई
  • नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. एली मेटचनिकॉफ के प्रस्ताव के बाद वैज्ञानिकों ने किण्वित डेयरी उत्पादों में स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देने के लिए स्वस्थ बैक्टीरिया की खोज की है
  • प्रोबायोटिक जीवाणु से बनी दही वयोवृद्ध आबादी को स्वस्थ बुढ़ापा को बढ़ावा दे सकती है और दीर्घ जीवन में सुधार कर सकती है

भारतीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने हाल ही में डेयरी उत्पाद से अगली पीढ़ी के प्रोबायोटिक जीवाणु लैक्टोबैसिलस प्लांटेरम जेबीसी5 की पहचान की है, जो स्वस्थ बुढ़ापा देने में व्यापक आशा जगाती है। टीम ने इस प्रोबायोटिक जीवाणु का उपयोग कर दही भी विकसित की है, जिसका सेवन इन सभी स्वास्थ्य लाभों को प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है।
चिकित्सा विज्ञान में हालिया प्रगति ने जीवन प्रत्याशा में वृद्धि की है और उम्र बढ़ने की आबादी में तेजी से वृद्धि हुई है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि 2050 तक हर ग्यारह में से एक व्यक्ति 65 वर्ष से अधिक उम्र का होगा। हालांकि बुढ़ापा आमतौर पर उम्र से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के उच्च जोखिम से जुड़ा होता है, जैसे मोटापा, न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग (पार्किंसंस, अल्जाइमर), हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर, ऑटोइम्यून रोग और सूजन आंत्र रोग आदि। इसलिए यह भारत जैसे अत्यधिक आबादी वाले देशों में चिंता पैदा करता है और स्वस्थ बुढ़ापा को बढ़ावा देने के लिए वैज्ञानिक तरीकों की आवश्यकता पर बल देता है।
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईएएसएसटी), गुवाहाटी के वैज्ञानिकों की एक टीम ने नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. एली मेटचनिकॉफ के प्रस्ताव के बाद किण्वित डेयरी उत्पादों में स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देने के लिए स्वस्थ बैक्टीरिया की खोज की।
उन्होंने एक डेयरी उत्पाद से अगली पीढ़ी के प्रोबायोटिक जीवाणु लैक्टोबैसिलस प्लांटेरम जेबीसी5 की खोज की, जो कि काईनोर्हेब्डीटीज एलिगेंस, —एक मुक्त-जीवित, पारदर्शी सूत्रकृमि है जीवित समशीतोष्ण मिट्टी के वातावरण में रहती है, नामक एक मॉडल जीव पर स्वस्थ उम्र बढ़ने को बढ़ावा देने में व्यापक आशा जगाता है।
आईएएसएसटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मोजीबुर आर. खान, और निदेशक प्रो. आशीष के मुखर्जी और गुवाहाटी विश्वविद्यालय के प्रो. एम. सी. कलिता और शोधार्थी श्री अरुण कुमार और सुश्री तुलसी जोशी के सहयोग से किए गए अध्ययन से पता चला है कि लैक्टोबैसिलस प्लांटेरम जेबीसी5 काईनोर्हेब्डीटीज एलिगेंस में एंटीऑक्सिडेंट, जन्मजात प्रतिरक्षा और सेरोटोनिन-सिग्नलिंग मार्गों को संशोधित कर दीर्घायु और स्वस्थ उम्र बढ़ने में सुधार करता है। यह हाल ही में ‘एंटीऑक्सिडेंट’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।
डॉ. एमआर खान ने कहा कि जीवाणु ने स्वस्थ उम्र बढ़ने की पहचान के साथ मॉडल जीव काईनोर्हेब्डीटीज एलिगेंस के जीवन काल में 27.81 प्रतिशत की वृद्धि का प्रदर्शन किया, रोगजनक संक्रमणों के खिलाफ बेहतर प्रतिरक्षा प्रदान करके सीखने की क्षमता और स्मृति, आंत शुद्धता और ऑक्सीडेटिव तनाव सहनशीलता में वृद्धि हुई है। इसके विपरीत यह शरीर में वसा और सूजन के संग्रह को काफी कम कर देता है।
आईएएसएसटी के निदेशक प्रो. मुखर्जी ने कहा कि प्रोबायोटिक उम्र से संबंधित बीमारियों की शुरुआत में देरी करने का संकेत देता है, जैसे मोटापा, संज्ञानात्मक कार्यों में गिरावट और बुजुर्गों में प्रतिरक्षा।
टीम ने इस प्रोबायोटिक जीवाणु का उपयोग कर दही भी विकसित की है जिसका सेवन इन सभी स्वास्थ्य लाभों को प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है। इसको लेकर एक पेटेंट दायर किया गया है (भारतीय पेटेंट आवेदन संख्या: 202231001501)। प्रोफेसर मुखर्जी को उम्मीद है कि जल्द ही प्रोबायोटिक का व्यावसायीकरण भी किया जाएगा ताकि प्रयोगशाला से उत्पन्न तकनीक आम लोगों तक पहुंच सके।
पेटेंट विवरण:
खान एमआर, जोशी टीके, कुमार ए, भट्टाचार्य जे, भट्टाचार्य ए, मुखर्जी एके (2022) बुढ़ापा रोधी लक्षण और उच्च शेल्फ लाइफ के साथ कार्यात्मक दही तैयार करने की एक विधि। पेटेंट आवेदन संख्या: 202231001501

कृपया अधिक जानकारी के लिए डॉ. मोजीबुर आर. खान से संपर्क करें ( [email protected]).

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!