Tuesday, January 21, 2025
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श्री जगन्नाथ जी मन्दिर अहमदाबाद के शिविर में हुई धर्म ध्वज की स्थापना

धर्म ध्वजा का अखाड़े की परम्परा में है बड़ा महत्व-महामंडलेश्वर श्री महंत दलीप दास श्री जगन्नाथ जी मंदिर अहमदाबाद के शिविर में आज वैदिक मंत्रो के उच्चारण के साथ संत महापुरुषों के द्वारा धर्म ध्वजा की स्थापना की गई।

श्री जगन्नाथ जी मंदिर अहमदाबाद के गौ सन्त प्रतिपालक महामंडलेश्वर श्री महंत दलीप दास ने जानकारी देते हुए बताया कि धर्म ध्वजा अखाड़ों की एक परम्परा हैं जिसका अखाड़ों मे बड़ा महत्व हैं। उन्होंने कहा की जहाँ जहाँ भी महाकुम्भ और अर्ध कुंभ जैसे धार्मिक अनुष्ठान होते हैं वहाँ अखाड़े अपनी अपनी छावनी और शिविरो की स्थापना करते हैं। और जहाँ भी छावनी और शिविर स्थापित किये जाते हैं वहाँ धर्म ध्वजा की स्थापना की जाती हैं।

उन्होंने कहा कि आज धर्म ध्वजा की स्थापना कार्यक्रम के दौरान विहिप संरक्षक बड़े दिनेश जी , श्री जगन्नाथ जी मंदिर अहमदाबाद के मुख्य ट्रस्टी ब्रह्म ऋषि महेंद्र भाई झा, केंद्रीय मंत्री विहिप, अशोक तिवारी और अखिल भारतीय वैष्णव अखाडा परिषद एवं निर्मोही अणि अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत राजेंद्र दास महाराज ने यज्ञ हवन करते हुए विश्वास शान्ति और महाकुम्भ मेला सकुशल संम्पन्न हो इसके लिए आहुति डालकर कामना की।

अखिल भारतीय वैष्णव अखाडा परिषद एवं निर्मोही अणि अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री महंत राजेंद्र दास महाराज ने कहा की प्रयागराज महाकुम्भ करोड़ों श्रद्धालु भक्तों की आस्था और विश्वास का संगम हैं। यह जाती,धर्म, और विश्व की अनेक भाषाओ का भी संगम हैं। उन्होंने कहा की महाकुम्भ मे करोड़ो श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी है। उन्होंने कहा कि मां गंगा के जल में स्नान और गंगा जल के आचमन मात्र से ही जीवन धन्य हो जाता है। उन्होंने सभी श्रद्धालु भक्तों से गंगा को निर्मल, अविरल और स्वच्छ बनाए रखने की अपील भी की।

उन्होंने कहा कि महाकुंभ में संपन्न होने वाले धार्मिक अनुष्ठानों और संत महापुरूषों के प्रवचनों से पूरे विश्व को मार्गदर्शन मिलेगा। मानव कल्याण का मार्ग प्रशस्त होगा।इस अवसर पर विहिप संरक्षक बड़े दिनेश जी, श्री जगन्नाथ जी मंदिर अहमदाबाद के मुख्य ट्रस्टी श्री ब्रह्म ऋषि महेंद्र भाई झा, केंद्रीय मंत्री विहिप, अशोक तिवारी,श्री महंत मुरली दास,श्री महंत धर्म दास, श्री महंत रामजी दास, महंत रामशंरण दास, महंत गोविन्द दासआदि के साथ अनेक संत महापुरुष उपस्थित रहे।

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