भगवान भरोसे है मतदानकर्मियों की कोविड से सुरक्षा, अव्यवस्थाओं जूझते हुए ले रहे हैं प्रशिक्षण
-त्रिलोक चन्द्र भट्ट
कोरोनाकाल में विधानसभा चुनाव सम्पन्न कराने के लिए आजकल हरिद्वार जनपद में जिन मतदान कर्मियों का प्रशिक्षण चल रहा है, प्रशासन ने कोविड से उनकी सुरक्षा भगवान भरोसे छोड़ रखी है। भले ही प्रशिक्षण के लिये सभागारों में शारीरिक दूरी हेतु सीटिंग प्लान किया गया है लेकिन बाहर शारीरिक दूरी का पालन तो दूर सभागार में हाथ सैनिटाइज कर और तापमान चैक किये बिना की मतदानकर्मी प्रवेश कर रहे हैं।
मतदानकर्मी को प्रशिक्षण के लिए सर्वप्रथम अपनी उपस्थित दर्ज करानी होती है। उसके बाद ई0वी0एम0 का प्रशिक्षण होता है। जिसके बाद डाक मतपत्र की कार्यवाही होती है। तदन्तर सामान्य प्रशिक्षण होता है। लेकिन कोविड गाइडलाइन की हर जगह धज्जियां उड़ रही हैं।
प्रशिक्षण स्थलों पर उपस्थित दर्ज कराने के लिए जो लाइने लग रही हैं उनमें भी शारीरिक दूरी का पालन नहीं हो रहा है। यही हाल ई0वी0एम0 प्रशिक्षण के दौरान है। डाक मतपत्र कार्यवाही के निर्धारित स्थलों पर भी भीड़ का यह आलम देखा गया कि एक के एक चढ़ा नजर आया। अगर भोजन की बात करें तो वहां ऐसी व्यवस्था है कि किसी को चावल मिल रहे हैं तो दाल नहीं मिल रही और किसी को पूरी मिल रही है तो सब्जी के लिए धक्का मुक्की करनी पड़ रही है। भीड़ इस कदर है कि खाने की प्लेट प्राप्त करना तक मुश्किल हो रहा है। कुल मिला कर मतदान कर्मियों के लिए दोपहर का भोजन प्राप्त करना एक युद्ध जीतने के समान है।
प्रशिक्षिण के लिए आये मतदानकर्मी अव्यवस्थाओं के बीच कोविड नियमों को ताक पर रख कर खाने के लिए ऐसे टूट पड़े, जैसे उन्हें खाना मिलेगा ही नहीं। वहां उन्हें रोकने और समझाने वाला कोई नहीं था। खाने के बाद पीने के पानी तक के लिए लोगों को जुझते देखा गया। दूसरी ओर द्वितीय पारी में प्रशिक्षण के दौरान आईआईटी रूड़की के कन्वेशन हाल में अधिकारियों के सामने ही पीठासीन की डायरी लेने के लिए पीठासीन अधिकारी एक दूसरे से चिपक-चिपक कर खड़े रहे। हाल के अंदर ही अधिकारियों के सामने लंबी-लंबी लाइने लग गयी। अधिकारी मंच से सोशन डिस्टेंसिंग रखने की बात कहते रह गये लेकिन किसी ने नहीं सुनी।
प्रशिक्षण से लेकर मतदान कराने तक तमाम तरह के सुरक्षात्मक उपायों के बीच चुनाव कराने की जिम्मेदारी जिन कार्मिकों पर डाली गयी है। वे प्रशिक्षण अवधि से ही गंभीर कोरोना संक्रमण के जोखिम के बीच कार्य कर रहे हैं। भीड़ के जो हालात हैं वह तस्वीरें बयान कर रही हैं। ऐसे में यह सवाल खड़ा होना स्वभाविक है कि चुनाव जरूरी है या लोगों का स्वास्थ्य और उनकी जिन्दगी? मतदान कर्मियों के प्रशिक्षण के दौरान जो तस्वीरें देखने को मिली हैं वह यह बताने के लिए काफी हैं कि कोरोना संक्रमण जहां इन कर्मियों के लिए खतरनाक हो सकता है वहीं ये कोरोना के बड़े कैरियर भी बन सकते हैं। इस मामले में प्रशासन को गंभीरता से कार्य करने की जरूरत है।