टीएमयू के एग्रीकल्चर स्टुडेंट्स गए रुद्रपुर, सीखी कटिंग की तकनीक

ख़ास बातें
-पल्लविका नर्सरी 33 एकड़ में आच्छादित
-प्रतिनिधिमण्डल में पचास स्टुडेंट्स शामिल
-नर्सरी भ्रमण स्वर्णिम अध्याय लिखेगाः प्रो. सिंह

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर साइंसेज के छात्रों का प्रतिनिधिमण्डल निदेशक छात्र कल्याण प्रो. एमपी सिंह के दिशा निर्देश पर नर्सरी भ्रमण के लिए रुद्रपुर गया। इसमें एग्रीकल्चर बी.एससी. चतुर्थ वर्ष के विद्यार्थियों ने मेडिकेटेड, ऑर्नामेंटल, सजावटी पौधे, फलदार वृक्ष, फूल, मसाले, कैक्टस और गूदेदार पौधों आदि की पहचान की। साथ ही इन्हें रोपित करने की प्रक्रिया, कितने समय बाद और कितना उत्पादन, बाजार, जीवन, रख-रखाव आदि पर सवाल भी पूछे। इस प्रतिनिधिमण्डल में 50 छात्र-छात्राएं शामिल थे, जिनका नेतृत्व डॉ. प्रवीन सिंह, डॉ. बलराज सिंह और सुश्री कुसुम फरस्वान ने किया। यह प्रायोगिक शिक्षण कार्यक्रम वाणिज्यिक बागवानी के तहत किया गया। पल्लविका नाम की यह नर्सरी 33 एकड़ में फैली है, जिसमें हींग ,अमरूद, नींबू, सेब, शहतूत, ओलियंडर, आम, लीची, चीकू, कैक्टस आदि किस्म के पेड़-पौधे हैं।

पल्लविका नर्सरी, रुद्रपुर की इस यात्रा के दौरान विद्यार्थियों ने हींग और अमरूद (एल-49) में वेजग्राफ्टिंग, अमरूद में इनार्चिंग, नींबू में एयरलेयरिंग, सेब (हरमन-66) में ग्राफ्टिंग, शहतूत एवं ओलियंडर की कटिंग तकनीक के बारे में सीखा। टीएमयू के एग्रीकल्चर साइंसेज के छात्र-छात्राओं ने संरक्षित संरचनाओं, नर्सरी और फलों के मदरब्लॉक की जानकारी प्राप्त की। नर्सरी के सरंक्षक ने विद्यार्थियों को संकर प्रजाति एवं उनकी गुणवत्ता के बारे में जानकारी दी। आम, लीची, चीकू और नींबू की विभिन्न किस्मों से अवगत कराया। साथ ही कैक्टस को आकर्षक बनाने के लिए ग्राफ्टिंग की तकनीक के बारे में भी समझाया। छात्रों ने बोन्साई बनाने की प्रक्रिया के बारे में प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया। विद्यार्थियों ने नर्सरी से सजावटी पौधे भी खरीदे। इस भ्रमण में भारती कुमारी, शिवांगी यादव, अमीशा, प्रियंका सिंह, महेश कुमार, विवेक कुमार तिवारी, रमन रावत, दीपांशु आदि छात्र-छात्राएं शामिल थे। स्टुडेंट्स वेलफेयर के निदेशक प्रो. सिंह ने उम्मीद जताई कि यह भ्रमण फाइनल ईयर के स्टुडेंट्स के लिए स्वर्णिम अध्याय लिखेगा।

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