अंधेरे में डूब सकते हैं देश के कई राज्य

महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में कोयला कंपनियों पर भारी बकाये के साथ मानसून की शुरुआत में पर्याप्त मात्रा में कोयले का स्टॉक न हो पाने और सितंबर में कोयले की खदान वाले क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण उत्पादन प्रभावित होने जैसे कई कारण हैं जिससे देश में कोयले की कमी हो गयी है। बाहर से आने वाले कोयले की कीमतों में जबरदस्त बढ़ोतरी से घरेलू घोयले पर निर्भरता बढ़ने लगी तो मांग के अनुसार कोयला उत्पादन नहीं हो पाया। बाहर से आयात होने वाले कोयले के जो दाम मार्च में 60 डॉलर प्रति टन थे सितंबर अक्तूबर में 160 डॉलर प्रति टन हो गए हैं। दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी के कारण आयातित कोयले से बिजली उत्पादन में 43.6 प्रतिशत की कमी आ गयी है। जिसे पटरी पर लाना मुश्किल हो गया है। देश के पावर प्लांटों में कोयले की कमी की खबरों के बीच दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि राजधानी में बिजली की कटौती का भी फैसला लिया जा सकता है। उन्होंने कहा है कि यदि अगले 24 घंटों में दिल्ली में कोयले की सप्लाई नहीं बढ़ी तो फिर हमें पावर कट पर विचार करना होगा। लगातार घटते कोयला स्टाक के कारण विद्युत उत्पादन संयंत्रों में बिजली उत्पादन में कमी आ गयी। दिल्ली में ब्लैकआउट की चेतावनी जारी की गई है तो उत्तर प्रदेश में 8 संयंत्र अस्थाई तौर पर ठप हो गए हैं। पंजाब और आंध्र प्रदेश के पॉवर प्लांओ में कोयले की कमी हो गयी है। अब केंद्र के सामने राज्यों की मांग को पूरा करना गंभीर चुनौती बन गया है।

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