हाई कोर्ट ने जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी की जमानत याचिका सुनने से इंकार किया
हरिद्वार धर्म संसद में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के मामले में जेल में बंद जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी की जमानत याचिका सुनने से इंकार करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट ने मामला दूसरी पीठ को भेज दिया। आज उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय में न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनएस धानिक की एकलपीठ में जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई थी। जिसमें उनके अधिवक्ता ने न्यायालय से त्यागीी की जमानत याचिका सुनने का अनुरोध किया लेकिन न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई नहीं की।
गौरतलब है कि जितेन्द्र नारायण त्यागी के विरूद्ध ज्वालापुर हरिद्वार निवासी नदीम अली ने दो जनवरी को हरिद्वार कोतवाली में तहरीर दी थी। शिकायत में कहा गया है कि हरिद्वार में साधु संतों की ओर से 17 से 19 दिसंबर तक धर्मसंसद का आयोजन किया गया। धर्म संसद में मुसलमानों के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आह्वान किया गया। यही नहीं मुसलमानों के पवित्र ग्रन्थ कुरान व पैगम्बर साहब के खिलाफ आपत्ति जनक शब्दों का प्रयोग भी किया गया। धर्मसंसद में शामिल जितेंद्र नारायण त्यागी, यति नरसिंहाानन्द व अन्य ने बाद में इसका वीडियो बनाकर वायरल भी कर दिया। इस भड़काऊ भाषण से जिले में अशांति का माहौल बना रहा तथा राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की किरकिरी हुई। प्रबोधानंद गिरी ने हरिद्वार की मस्जिदों में रह रहे लोगो के खिलाफ हिंसा फैलाए जाने का प्रयास भी किया गया।
धर्मसंसद मामले में पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराये जाने के बाद आईपीसी की धारा 153ए, 295 तहत नरसिंधानंद गिरी, सागर सिंधु महाराज, धर्मदास महाराज, परमानंद महाराज, साध्वी अन्नपूर्णा, स्वामी आनंद स्वरूप, अश्वनी उपाध्याय, सुरेश चव्हाण सहित स्वामी प्रबोधानंद गिरी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।