पितृपक्ष में शांतिकुंज में नि:शुल्क श्राद्ध-तर्पण का आयोजन जारी
पितृपक्ष का समय हिन्दू धर्म में अत्यंत पावन और पुण्यकारी माना गया है। शास्त्रों में स्पष्ट कहा गया है कि इस पखवाड़े में श्रद्धापूर्वक किया गया श्राद्ध-तर्पण पितरों को तृप्त करने के साथ-साथ जीवित वंशजों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार करता है। इसी कड़ी में हरिद्वार स्थित शांतिकुंज में प्रतिदिन नि:शुल्क श्राद्ध-तर्पण संस्कार सम्पन्न कराए जा रहे हैं, जिनमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग ले रहे हैं।
श्राद्ध और तर्पण का वास्तविक अर्थ
श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धापूर्वक व्यवहार करना और तर्पण का अर्थ है तृप्त करना। इस प्रकार श्राद्ध-तर्पण का आशय दिवंगत आत्माओं को स्मरण करते हुए उन्हें कृतज्ञता और सम्मान अर्पित करना है। शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि श्राद्ध मात्र कर्मकाण्ड न होकर, एक आत्मीय प्रक्रिया है जिसमें श्रद्धा, कृतज्ञता और सत्प्रवृत्ति की भावना निहित रहती है।
ऋषियों की मान्यता और पौराणिक संदर्भ
ऋषियों के मतानुसार मृत्यु के उपरांत जीवात्मा चन्द्रलोक होते हुए पितृलोक तक पहुँचती है। इस यात्रा में उसे शक्ति और तृप्ति मिले, इसी उद्देश्य से श्राद्ध और पिण्डदान की परंपरा बनाई गई है।
गरुड़ पुराण में लिखा गया है कि “पितृ पूजन से संतुष्ट होकर पितर आयु, यश, बल, वैभव, पशु-धान्य और संतति प्रदान करते हैं।”
मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, “श्राद्ध से तृप्त होकर पितर श्राद्धकर्ता को दीर्घायु, विद्या, सुख और मोक्ष तक का आशीर्वाद देते हैं।”
महाभारत का भी स्पष्ट कथन है कि “पितरों की भक्ति करने से पुष्टि, आयु, वीर्य और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।”
विष्णु पुराण तो यहां तक कहता है कि “एक दिन भी श्रद्धापूर्वक किया गया श्राद्ध पितरों को वर्षभर के लिए संतुष्ट कर देता है।”
श्राद्ध के पुण्यफल और सामाजिक महत्व
श्राद्धकर्म केवल मृतात्माओं को तृप्त करने का साधन ही नहीं है, बल्कि यह जीवितों के लिए भी कल्याणकारी है। ब्रह्माण्ड का प्रत्येक जीव, परमाणु और घटक आपस में जुड़े हुए हैं। जैसे एक छोटे-से यज्ञ की सुगंध पूरे वातावरण को पवित्र करती है, वैसे ही श्राद्ध से उत्पन्न कृतज्ञता और सद्भावना की तरंगें समस्त प्राणियों को प्रभावित करती हैं। इसका सबसे अधिक लाभ वही आत्माएँ पाती हैं, जिनके लिए श्राद्ध विशेष रूप से किया जाता है।
शांतिकुंज में नि:शुल्क श्राद्ध-तर्पण संस्कार
हरिद्वार स्थित अखिल विश्व गायत्री परिवार का मुख्यालय शांतिकुंज प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं के लिए नि:शुल्क श्राद्ध और तर्पण संस्कार का आयोजन करता है। यहां प्रशिक्षित आचार्य, वेदपाठी और कर्मकाण्ड विशेषज्ञ कई पारियों में विधिविधानपूर्वक श्राद्धकर्म सम्पन्न कराते हैं। श्रद्धालु अपनी सुविधानुसार परिवार सहित यहां पहुँचकर अपने पितरों का श्राद्ध-तर्पण कर पुण्यलाभ प्राप्त कर रहे हैं।
श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास
श्रद्धालुओं का मानना है कि शांतिकुंज में किए गए श्राद्ध से न केवल उनके पितृगण तृप्त होते हैं, बल्कि पूरे परिवार पर आशीष बरसता है। यहां नि:शुल्क किए जाने वाले संस्कारों में आर्थिक बोझ नहीं होता, जिससे समाज के हर वर्ग के लोग इसमें सम्मिलित होकर आत्मिक शांति और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं।
इस तरह यह पितृपक्ष केवल एक धार्मिक परंपरा ही नहीं बल्कि पितरों के प्रति कृतज्ञता, स्मरण और आशीर्वाद प्राप्त करने का महापर्व है, जिसे हरिद्वार के शांतिकुंज जैसे आध्यात्मिक केंद्र विशेष रूप से जीवित बनाए हुए हैं।