Thursday, October 23, 2025
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संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के लक्ष्यों पर, चित्रकूट में त्रिदिवसीय अंतराष्ट्रीय सम्मेलन

संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के लक्ष्यों पर, चित्रकूट में दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा आयोजित प्रथम त्रिदिवसीय अंतराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ शुक्रवार को दीनदयाल परिसर के विवेकानंद सभागार में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया। इस अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित सतत विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार प्रभावी कार्य कर रही हैं।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय एवं म.प्र. व उ.प्र. सरकार तथा संयुक्त राष्ट्र की संस्था हेल्थ इनोवेशन एक्सचेंज- यूएनएड्स के सहयोग से आयोजित इस सम्मेलन में मुख्य अतिथि श्री तोमर ने कहा कि भारत ने दुनिया को अनेक विधाएं दी है- अंकगणित, जीरो आदि इसके उदाहरण हैं। हमारे पास सब कुछ था, तभी भारत में लुटेरे आए लेकिन कहीं न कहीं कुछ कमी थी, जो सतत विकास के लक्ष्य आज आजादी के अमृत महोत्सव तक भी पूरे नहीं हो सके। अब यशस्वी प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में विभिन्न केंद्रीय योजनाएं उन समस्त लक्ष्यों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा सतत विकास के लिए निर्धारित किए गए हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम जैसे बड़े कार्यक्रम भी लागू किए गए है। महिला सशक्तिकरण के लिए आजीविका की दृष्टि से 70 लाख स्वयं सहायता समूहों से 8 करोड़ महिलाएं जुड़ी है, जिन्हें 5 लाख करोड़ रुपये का लोन दिया जा चुका है। उन्होंने ऐसी केंद्रीय योजनाओं की जानकारी देकर सतत विकास लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में किए जा रहे कार्यों का उल्लेख किया।

श्री तोमर ने कहा कि दीनदयाल शोध संस्थान, चित्रकूट में आना हम सभी को अच्छा लगता है, क्योंकि यहां धरा की पावनता ऐसी है, यह श्रद्धा का केंद्र है। चित्रकूट में श्री नानाजी देशमुख ने दीनदयाल शोध संस्थान केंद्र स्थापित किया। श्रद्धेय नानाजी हमारे बीच नहीं है परंतु उनकी संवेदनाएं, ग्राम विकास कार्यों के लक्ष्य व चुनौतियों का सामना करने की दृढ़ता हमारे समक्ष है। यह क्षेत्र दुर्गम-दूरस्थ है लेकिन यहां सतत विकास लक्ष्यों के लिए कार्य हो रहा है। चित्रकूट क्षेत्र में राज्य सरकार, दीनदयाल शोध संस्थान व अन्य संस्थाएं समस्याओं सुलझाने के लिए काम कर रही हैं। नानाजी का कथन था “मैं अपने लिए नहीं, अपनों के लिए हूं, अपने वे हैं जो पीड़ित व उपेक्षित हैं”। चित्रकूट व गोंडा के प्रकल्प नानाजी की दूरदृष्टि का परिणाम है। नानाजी का संकल्प गांवों में परिलक्षित होता दिखाई देता है, उसमें पं. दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानव दर्शन का समग्र चिंतन निहित है। पंडित दीनदयाल जी ने अंत्योदय की बात कही थी।

अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन और नीति विश्लेषण संस्थान के उपाध्यक्ष एवं मध्य प्रदेश राज्यनीति एवं योजना आयोग के उपाध्यक्ष डा. सचिन चतुर्वेदी ने मुख्य उद्बोधन में कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के माध्यम से भारत के विकास का नया खाका तैयार होगा।

इस अवसर पर सतना के सांसद श्री गणेश सिंह, चित्रकूट-बांदा के सांसद श्री आर.के. सिंह पटेल, राष्ट्रीय बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग के अध्यक्ष श्री प्रियंक कानूनगो एवं दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव श्री अतुल जैन, सेमिनार के संयोजक श्री बसंत पंडित भी विशेष रूप से उपस्थित थे, जिन्होंने अपने उद्गार व्यक्त किए। कार्यक्रम में श्री तोमर ने एसडीजी लक्ष्यों की संपूर्ण जानकारी के लिए एसडीजी इंटरवेंशन डॉट ओआरजी नाम से वेबसाइट लांच की। इस अवसर पर दक्षिण एशिया में एसडीजी का काम देख रहीं डॉ. नित्या केमकर लंदन से ऑनलाइन जुड़ी, वहीं एसडीजी को आगे बढ़ाने में कार्यरत डॉ. काकोली घोष (एफओए, रोम) ने भी ऑनलाइन उद्बोधन दिया। श्री एरिक सोलहेम (पेरिस) व श्री शोम्बी शार्प (संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट को-ऑर्डिनेटर) का भाषण भी आभासी माध्यम से हुआ। कार्यक्रम में देश-विदेश के विभिन्न संस्थानों के पदाधिकारियों के साथ ही बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन तथा अधिकारी भी उपस्थित थे।

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