धामी की कार्यशैली से आसान हुई मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने की राह
-त्रिलोक चन्द्र भट्ट
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को 46 साल की उम्र में मात्र 7 माह का कार्यकाल मिला था। लेकिन काम करने की गति ऐसी रही कि उसने जनता और पार्टी हाईकमान दोनों का दिल जीत लिया। पार्टी और सरकार की लोकप्रियता के नीचे गिरते ग्राफ को संभाल कर उन्होंने खुद हारकर भी पार्टी दुबारा सत्ता में वापसी करवाई। ऐसे ही कुछ कारण हैं जिन्होंने उनके विधायक दल का नेता और मुख्यमंत्री बनने की राह आसान की है।
हालांकि वर्ष 2017 में हुये चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को उत्तराखण्ड में 57 सीटें मिली थी। इस बार सत्ताविरोधी लहर के चलते अंतिम वर्ष में मुख्यमंत्री बदलने से जनता में भी रोष व्याप्त हुआ किन्तु धामी ने अपनी कार्यशैली से लोगों की अवधाराणा को बदला, और 47 सीटों सहित पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा की सत्ता में वापसी हुई। धामी ने एक जो बड़ा काम किया उसमें पुराने और वरिष्ठ नेताओं के साथ समन्वय स्थापित करना भी रहा। उनके द्वारा लिया गया मार्गदर्शन और सलाह मुख्यमंत्रित्व काल में धामी के काम आयी। इससे से पार्टी और सरकार के बीच तालमेल बैठाने मे कामयाब हुये। मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही राज्यभर में ताबड़तोड़ दौरे, विभिन्न विकास योजनाओं की घोषणा, और उनके कार्यान्वयन को अमली जामा पहनाने के लिए किये गये प्रयास ने उनकी लोकप्रियता बढ़ाई। कई योजनाओं के लिए उन्होंने दिल्ली दौड़ लगाकर केन्द्रीय नेताओ से उत्तराखण्ड के विकास के लिये योजनाएं और आर्थिक मदद भी मांगी। पद संभालते ही वे डेढ़ महिने में तीन कैबीनेट बुला चुके थे। एक महिने बाद ही स्वतंत्रता दिवस पर कई विकास योजनाओं की झड़ी लगा दी थी। इसके बाद भले ही वे अपने विधानसभा क्षेत्र में पर्याप्त समय नहीं दे पाये लेकिन उन्होंने चुनाव के समय दूसरे मंत्रियों और विधायकों के क्षेत्र में जनसभाओं और अन्य आयोलन के लिये पर्याप्त समय दिया। वे अपने निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जरूर हारे लेकिन राज्य के लोगों के दिलों में जगह बनाने में जरूर कामयाब हुये। यही कारण रहा कि पार्टी हाई कमान ने पुष्कर सिंह धामी के नाम पर मुहर लगाकर उनकी ताजपोशी कराने का निर्णय लिया। हालांकि इससे पूर्व कई विधायकों के नाम चर्चा में थे। कई लोग मुख्यमंत्री की दौड़ में भी शामिल थे। रजनैतिक कयासबाजियों के बीच जब शाम को पुष्कर सिंह धामी के फिर मुख्यमंत्री बनने की सूचना आई तो सभी कयासबाजियों पर ब्रेक लग गया।
विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद पुष्कर धामी ने राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया है। अब पुष्कर सिंह धामी 23 मार्च को एक बार फिर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण समारोह देहरादून के परेड ग्राउंड में आयोजित होगा।।