कांग्रेस का तर्क, केंद्र का तोता है सीबीआई, तो सीबीआई जांच की मांग क्यों.?

  • सीबीआई जांच हुई तो तीन साल लग सकते हैं भर्ती प्रक्रिया शुरू करने में

युवाओं को बरगला कर सरकार पर निशाना लगा रही कांग्रेस

देहरादून। प्रदेश की पुष्कर सिंह धामी सरकार निरंतर जनहित के कार्य कर रही है। भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी पर सरकार ने तुरंत कार्रवाई की है और दोषियों को गिरफ्तार किया और उनकी संपत्ति तक कुर्क की हैं। दो दिन पहले ही सरकार नकलरोधी सख्त कानून ले आई है। इसके बावजूद कांग्रेस युवाओं को बरगला कर सरकार पर निशाना साधने का प्रयास कर रही है। परीक्षा धांधली की सीबीआई जांच का तर्क औचित्यहीन है और इससे युवाओं को ही नुकसान होगा।

जानकारों का कहना है कि कांग्रेस युवाओं के आंदोलन को हाईजैक करना चाहती है। उनका कहना है कि पुलिस ने पटवारी और लेखपाल परीक्षा के पेपर लीक करने वालों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की है। सीएम धामी ने संदेश दिया है कि गुनाहगार चाहे पार्टी का ही क्यों न हो, उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होगी। उनका आरोप है कि कांग्रेस इस मुद्दे पर युवाओं को उकसा रही है।

वही परीक्षा की जांच को लेकर हाईकोर्ट ने एक याचिका निरस्त करते हुए माना है कि जांच सही दिशा में हो रही है रोज मामले में नया अपडेट आ रहा है अधिकतम गिरफ्तारियां हो रही है। अब सवाल है कि ऐसे में कांग्रेस बेवजह मामले को तूल क्यो दे रही है। कांग्रेस बेरोजगार युवाओं को बरगला कर उनका आंदोलन हड़पने की कोशिश में जुटी है।
जानकारों की मानें तो मुख्यमंत्री पेपर लीक कांड की जांच सीबीआई को दे देते है तो जांच प्रक्रिया में दो से तीन वर्ष का समय लग सकता है। ऐसे में नौकरी की भर्ती परीक्षा प्रक्रिया भी प्रभावित होगी। ऐसा भी माना जा रहा है भर्ती प्रक्रिया लंबे समय तक बाधित रहे। ऐसे में सिर्फ सीबीआई जांच की मांग पर ही अड़े रहना युवाओं के साथ एक छलावा है। जबकि पुलिस ने तुरंत आरोपियों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेज दिया है। क्या जनता या युवा चाहते हैं कि राज्य में भर्ती प्रक्रिया बाधित हो।

एक अन्य तर्क यह भी है कि कांग्रेस अक्सर कहती है कि सीबीआई केंद्र सरकार का तोता है। सीबीआई पर विश्वास नहीं किया जा सकता तो ऐसे में कांग्रेस किस आधार पर सीबीआई जांच की मांग कर रही है, यह बड़ा सवाल है। मुख्यमंत्री ने युवाओं से अपील की है कि वह राजनीतिक दलों के बहकावे में न आए। अब स्पष्ट हो गया है कि यह सिंडिकेट पिछले 10 वर्षों से राज्य में सक्रिय रहा इन 10 वर्षों में 5 साल कांग्रेस की सरकार भी रही है। लेकिन किसी भी सरकार ने इतनी गहराई तक जाकर कोई कार्यवाही नहीं की लेकिन धामी सरकार के संज्ञान में आने के बाद सरकार इस सिंडिकेट की जड़ तक जा रही है जिससे कि आने वाली कई पीढ़ियों को इसका लाभ मिल सके आज के युवाओं को समझना होगा जांच भी जारी रहनी चाहिए और प्रतियोगी परीक्षाएं भी गतिमान रहनी चाहिए।
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग हरिद्वार स्पष्ट कर चुका है कि उन्होंने नए सिरे से सारे पेपर बना दिए हैं और आगामी परीक्षाओं के लिए सारे नए पेपर बन रहे हैं व्यवस्थाओं में काफी सुधार भी किया गया है युवाओं की बात मानते हुए परीक्षा नियंत्रक को भी तत्काल हटा दिया गया है तो ऐसे में सिर्फ सीबीआई जांच की मांग करना राज्य के युवाओं के साथ धोखा है अभी हाल ही में पटवारी परीक्षा में धांधली की जांच सेटिंग जज की निगरानी में करने की मांग भी धामी सरकार ने मान ली है। ऐसे में युवाओं को समझना होगा कि पिछले 10 सालों का सिंडिकेट की कमर टूट चुकी है और यह उत्तराखंड में अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है। यह गिरोह कितना मजबूत है इस बात का अंदाजा आप इसी से लगाइए कि नकल माफिया कोचिंग सेंटर और छात्र संगठन भी इसमें शामिल है ऐसे में जो साहस युवा मुख्यमंत्री ने युवाओं को लेकर दिखाया है इन परीक्षाओं की जांच का उस पर विश्वास करते हुए सीबीआई जांच की हठ छोड़ते हुए सरकार की जांच पर विश्वास जताना और आगामी परीक्षाओं की तैयारी करना ही राज्य के हित में है।

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