सरकारी विभाग ही सबसे बड़े बकायेदार, नहीं चुका रहे लाखों का भवन कर

नगर निगम देहरादून के अंतगर्त सरकार के अनेक महत्वपूर्ण विभाग ही भवन कर अदा न कर निगम की आय को लाखों की चपत लगा रहे हैं। वे निगम के नोटिसों तक का जवाब तक देना जरूरी नहीं समझ रहे। राजधानी देहरादून में नगर निगम की भवन कर बकायेदारों की सूची में में आमजन या राजनीतिक दल ही नहीं बल्कि केंद्र एवं राज्य सरकार के बड़े प्रतिष्ठान तक शामिल हैं। भवन कर नगर निगम की आय व विकास कार्यों के लिए खर्च होने वाले बजट का एक बड़ा साधन होता है। आम आदमी तो कानूनी कार्यवाही के डर व प्रशासनिक दबाव में भवन कर अदा कर देता है। लेकिन करोेंड़ों के बकायेदार सरकारी विभागों को निगम को नोटिसों से भी कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।
अगर राज्य सरकार की बात करें तो उसी पर ही विधानसभा भवन व ट्रांजिट हास्टल का सवा करोड़ रुपये का भवन कर बकाया है। पुलिस मुख्यालय पर 2 करोड़ तो सिडकुल पर पौने दो करोड़ रुपये का भवन कर बकाया है। बड़े बकायेदारों की सूची में दून अस्पताल भी शामिल है। उस पर 90 लाख रुपये भवन कर बकाया है। यूपीसीएल पर सवा करोड़ भवन कर बकाया है तो कलेक्ट्रेट पर भी 6 लाख रुपये बकाया हैं। एमकेपी महाविद्यालय पर भी निगम के बकायेदारी है लेकिन कानूनी विवाद के चलते फिलहाल इसका भवन कर वसूला नहीं जा रहा है। कई सरकारी दफ्तर और पुलिस थानों के भवनों सहित लंबी फेहरिस्त है जिन पर नगर निगम का भवन कर बकाया है। नगर निगम ने एक बाद भवन कर वसूलने के लिए तैयारी कर की है और वह सभी को नोटिस भेजे जा रहे हैं। अभी तक नगर निगम के बड़े बकायेदारों में शामिल राज्य सचिवालय प्रशासन ने नगर निगम में कुल 91 लाख तथा ओएनजीसी ने एक करोड़ रुपये भवन कर जमा कराया है।

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