देहरादून-दिल्‍ली एक्‍सप्रेस वे में सैकड़ों हरे पेड़ोंं की बलि चढ़ेगी, कोर्ट ने 21 सिंतंबर तक वन विभाग से मांगा जवाब।

देहरादूून-दिल्‍ली एक्‍सप्रेस वे निर्माण से पर्यावरण हो नुकसान पर चिंता जताते हुए कोर्ट में दाखित जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने वन विभाग को निर्देश दिया है कि वह बताए कि राजाजी नेशनल पार्क में कितने साल के पेड़ हैं, इसके अलावा पेड़ों का फिर से रोपण करने का ब्‍यौरा भी दिया जाए। साथ ही यह भी बताया जाए कि इन्‍हें किस जगह लगाया जाएगा और अगले दस वर्षों तक इनकी देखभाल की जिम्‍मेदारी किसकी होगी। कोर्ट ने वन विभाग से यह भी पूछा है कि क्‍या ये पेड़ आसानी से उगाए जा सकते हैं या इनकी जगह किस प्रजाति के पेड़ लगाना फायदेमंद होगा। वन विभाग से कहा है कि वह 21 सितंबर तक अपना जवाब दे। बताते चले कि जनहित याचिका दायर करने वाले एक शख्‍स के वकील अभ‍िजय नेगी का कहना था कि भले ही एनएचएआई एलेवेटिड रोड बनाए तब भी 1,622 साल के पेड़ काटने पड़ेंगे। वकील का तर्क था कि इससे जंगल की पारिस्थितिकी पर असर पड़ेगा क्‍योंकि साल के पेड़ बड़ी मुश्किल से उगते हैं। पर्यावरणविदों ने गणेशपुर (यूपी) और देहरादून के बीच होकर गुजरने वाले इस एक्‍सप्रेस वे के 19.7 किलोमीटर के हिस्‍से से जुड़ी आशंकाओं उठाई थीं। एक्‍सप्रेस वे का यह पूरा हिस्‍सा जंगल के बीच से गुजरने वाला है। इसमें अधिकांश यूपी से गुजरेगा लेकिन 3.4 किलोमीटर का टुकड़ा ईको सें‍सटिव जोन और शिवालिक पहाड़ों के रिजर्व जंगल से निकलेगा। एक्‍सप्रेस वे से दिल्‍ली से देहरादून की यात्रा पांच की जगह दो घंटे में पूरी हो जाया करेगी।

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