कुट्टु का आटा स्वास्थ्य पर पड़ सकता है भारी, सैंपल हो रहे फेल, देहरादून में 20 कारोबारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज

तीज त्यौहार आते ही जहां मिलावट खोरी बढ़ जाती है वहीं कई व्यापारी अपनी पुरानी और खराब खाद्य सामग्री भी त्यौहारी सीजन में ग्राहकों के बीच खपाने लगते हैं। बिना जांचे परखे ,खाद्य पदार्थों की खरीददारी करने वाले ग्राहकों के स्वास्थ्य पर खराब प्रभाव पड़ता है। आजकल नवरात्री के दौरान बाजार में कुट्टु के आटे की खपत बढ़ जाती है। जगह-जगह यह खुले में भी बेचा जाता है। जिसकी गुणवत्ता और पौष्टिकता की कोई गारंटी नहीं होती। नवरात्र प्रारंभ होते ही कुट्टु के आटे का सेवन करने से कई शहरों में लोगों का स्वास्थ्य खराब होने की खबरे आयी हैं। हरकत में अधिकारियों ने कार्यवाही के आदेश दिये तो राजधानी देहरादून में ही कई सैंपल फेल हो गये। इन फेल नमूनों में से अधिकांश नमूने सब्सटेंडर्ड और मिल्क प्रोडक्ट कैटेगरी के हैं। गुणवत्ता जांच में सैंपल फेल होने के बाद 20 खाद्य कारोबारियों के खिलाफ खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2006 के तहत न्यायालय में मुकदमा दर्ज किया गया है। देहरादून नगर निगम में 7, देहरादून ग्रामीण एवं मसूरी क्षेत्र में 5, ऋषिकेश में 3 और विकासनगर में 5 खाद्य व्यापारियों पर खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2006 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है। गौरतलब है कि कुट्टू का आटा केवल व्रत एवं नवरात्रि के सीजन में ही उपयोग होता है ओपन आटे की सेल्फ लाइफ एक माह तक होती है। कई व्यापारी पुराना बचा आटा अगले नवरात्र तक रखते हैं, जिसमें कि फंगल व इंसेक्ट ग्रोथ के कारण आटा खराब हो जाता है। जिस कारण इसका उपयोग करने वालों का स्वास्थ्य खराब हो जाता हैं।

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