उत्तराखंड मे तेजी से बढ़ रहा फेफड़ों का कैंसर, एम्स में प्रतिमाह पहुंच रहे 40 से 50 मरीज

उत्तराखंड में फेफड़ों के कैंसर के मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। यह किसी आम आदमी का कहना नहीं है बल्कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के पल्मोनरी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. मयंक मिश्रा ने यह खुलासा किया है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में हर महिने फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित 40 से 50 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। इसके पीछे धूम्रपान की बढ़ती प्रवृति को एक बड़ा कारण माना जा रहा है। डॉ. मयंक मिश्रा ने बताया कि बीड़ी-सिगरेट का सेवन करना फेफड़ों के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है। वहीं पैसिव स्मोकिंग या परोक्ष धूम्रपान भी कैंसर का एक बड़ा कारण बनकर उभरा है। उन्होंने कहा कि फेफड़े के कैंसर में फेफड़ों के किसी भाग में कोशिकाओं की अनियंत्रित और असामान्य वृद्धि होने लगती है। कई बार फेफड़े के कैंसर का शुरूआती दौर में पता नहीं चलता और यह अंदर ही अंदर बढ़ता जाता है।

एम्स निदेशक प्रोफेसर रविकांत ने संस्थान में स्पेशल लंग क्लीनिक का शुभारंभ करते हुए कहा कि फेफड़े का कैंसर एक गंभीर बीमारी है। लेकिन आधुनिक मेडिकल साइंस में हुई प्रगति के कारण अब कैंसर से छुटकारा पाना संभव है। लक्षणों के आधार पर समय पर इलाज शुरू कर दिए जाने से कैंसर की गंभीर स्थिति से बचाव किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि एम्स ऋषिकेश में लंग कैंसर के लिए स्पेशल क्लीनिक संचालित किया जा रहा है। इसके समुचित इलाज के लिए एम्स में सभी तरह की आधुनिक मेडिकल सुविधाएं और विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम उपलब्ध हैं।

दिन प्रतिदिन फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित मरीजों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर ही एम्स के पल्मोनरी विभाग में अलग से स्पेशल लंब क्लीनिक संचालित किया जा रहा है। इस क्लीनिक में केवल फेफड़ों के कैंसर और संदिग्ध लक्षणों से ग्रसित मरीज ही देखे जा रहे हैं। संदिग्ध लक्षणों वालें मरीज अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश की प्रत्येक शुक्रवार को स्पेशल लंग क्लीनिक में अपनी जांच करा सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!